यह उस विकास की कहानी नहीं है जिसकी बात प्रधानमंत्री मोदी दिन रात करते हैं, बल्कि उस विकास की कहानी है जिसकी तलाश अमेरिका को है। यह है विकास यादव की कहानी, जिसे अमेरिका की केंद्रीय जांच एजेंसी एफबीआई तलाश कर रही है। एफबीआई की वेबसाइट पर हत्या के प्रयास और मनी लॉन्ड्रिंग के केस में भारतीय का चेहरा लगा दिया गया है। विकास यादव को हरियाणा के प्राणपुरा का रहने वाला बताया गया है।
हाल ही में न्यूयॉर्क में खालिस्तानी विचारधारा के समर्थक गुरु पतव सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम कोशिश में विकास यादव का नाम आया है। इसी मामले में एक और व्यक्ति निखिल गुप्ता को चेक गणराज्य से गिरफ्तार कर अमेरिका लाया गया है। जब से एफबीआई के वेबसाइट पर विकास यादव का चेहरा लगा है, भारत में कोई बात ही नहीं हो रही है। क्या यही विकास यादव है जिसे भारत में गिरफ्तार करने की खबरें छपी हैं?
एफबीआई ने अपनी वेबसाइट पर इसका फोटो क्यों लगाया? हिंदुस्तान टाइम्स के प्रशांत झा की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अमेरिका को बताया है कि जिसे आरोपी नंबर सीसी वन बताया गया है, उसे भारत में गिरफ्तार कर लिया गया है। बिना पहचान बताए रिपोर्ट किया गया है कि वह अब सरकार की एजेंसी में काम नहीं करता। भारत की उच्च स्तरीय कमेटी इस मामले की जांच कर रही है।
प्रशांत झा ने लिखा है कि भारत में किसी को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन नाम नहीं लिखा गया है। हमारा सवाल है: क्या यह शख्स विकास यादव हो सकता है? क्या भारत सरकार विकास को अमेरिका के हवाले कर सकती है? ये सभी सवाल उठ रहे हैं।
17 अक्टूबर को भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसी की गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की गई, लेकिन यह पुष्टि की जा सकती है कि उस अधिकारी को पन्नू की हत्या के मामले में ही निकाला गया। विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह सवाल पूछे गए, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि कोई भी भारत सरकार का कर्मचारी नहीं है। हालांकि, अमेरिका की जस्टिस डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर विकास यादव को भारत सरकार का कर्मचारी बताया गया है। क्या हम इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि इन सब सवालों के बारे में अमेरिका की तरफ से ही एकतरफा जवाब आएगा? यह भी कितना बुरा होगा!
विकास यादव – जानिए सचाई
विकास यादव पर भाड़े पर हत्या की साजिश करने के आरोप हैं, जिसके लिए अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है, साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी हैं, जिसके लिए अधिकतम 20 साल की जेल हो सकती है। अमेरिका में केंद्रीय जिला न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा अमेरिकी न्याय के दिशा निर्देशों और अन्य वैधानिक कारकों पर विचार करने के बाद सजा सुनाई जाएगी।
2014 के पहले का मीडिया होता तो दर्जनों कैमरे हरियाणा के प्राणपुरा पहुंच गए होते, जहां का विकास यादव बताया जा रहा है। अमेरिका ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि प्राणपुरा में इतने ओबी वैन आउटडोर ब्रॉडकास्ट वैन पहुंच गए होते कि वहां पांव रखने की जगह नहीं होती। लेकिन जगह का नाम देने के बाद भी अमेरिका व्यक्ति का नाम भी बता रहा है, और वहां से उसके गांव से कोई लाइव नहीं कर रहा है।
भारत सरकार का सरकारी कर्मचारी भाड़े पर हत्या के खेल में शामिल हो जाए तो क्या गोदी मीडिया को चुप रहना चाहिए? क्या यह संभव नहीं है कि विकास यादव को फंसाया जा रहा हो? तब क्या मीडिया को इस पर बहस नहीं करनी चाहिए? कम से कम गोदी मीडिया के दो-चार एंकर ही अमेरिका को ललकार देते तो उसके पसीने छूट जाते, मगर वह भी कुछ नहीं कर रहे हैं।
अमेरिका ने कनाडा की तरफ प्रेस कॉन्फ्रेंस तो नहीं की, लेकिन इस मामले में उसने जांच में तेजी लाई है। अगर कनाडा ने इस तरह का फोटो अपनी वेबसाइट पर डाला होता, तो क्या तब भी भारत का विदेश मंत्रालय चुप रहता?
विकास यादव और निखिल गुप्ता पर भाड़े पर हत्या की साजिश करने के आरोप हैं। एफबीआई ने कहा है कि आरोपी एक भारतीय सरकारी कर्मचारी है जिसने कथित तौर पर एक अन्य सहयोगी के साथ मिलकर साजिश रची है और अमेरिकी धरती पर एक अमेरिकी नागरिक की हत्या करने का प्रयास किया।
कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का मामला और न्यूयॉर्क में पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश का मामला, क्या दोनों को अलग-अलग किया जा सकता है? अमेरिका को किसी चीज की जरूरत है, क्या यही रास्ता है?
भारत सरकार की कार्रवाई को लेकर सवाल उठते हैं। क्या विकास यादव को उसके हाल पर छोड़ दिया जाएगा? अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट और एफबीआई की वेबसाइट पर भारत का सरकारी कर्मचारी लिखा जाना कानून के राज में विश्वास को बार-बार दोहराने वाले और दूसरे देश की सीमा से दूर रहने वाले देश के लिए अच्छा नहीं है।
जो लोग यह मानते थे कि भारत अब दूसरे की जमीन में घुसकर पीछा करेगा, वह अब विकास यादव के लिए चुप क्यों हो गए हैं? अगर सरकार कहती है कि विकास यादव रोग एजेंट है, तो फिर इस दलील का क्या मतलब है?
अंत में, यह स्पष्ट है कि विकास यादव का मामला भारत और अमेरिका के बीच एक गंभीर बातचीत का विषय बन गया है। भारत को इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी ताकि देशवासियों को इस घटना के संदर्भ में सही जानकारी मिल सके।
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