RBI MPC बैठक Live: रिजर्व बैंक ने लगातार पांचवीं बैठक में, प्राथमिक लक्ष्य के रूप में मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए, अपनी प्रमुख ब्याज दर को अपरिवर्तित बनाए रखने का विकल्प चुना। एक उल्लेखनीय बदलाव में, RBI ने FY24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के पूर्वानुमान को 6.5% के पिछले अनुमान से संशोधित कर 7% कर दिया। इसके अतिरिक्त, वित्त वर्ष 2014 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 5.4% पर बरकरार रखा गया था।
RBI MPC की बैठक के दौरान, सभी सदस्यों ने पॉलिसी रेपो दर को 6.5% पर बनाए रखने के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया, जो लगातार पांचवीं बार रोक है। सामूहिक निर्णय ने आवास उपायों को वापस लेने पर दृढ़ फोकस को रेखांकित किया। विशेष रूप से, इस रुख को बनाए रखने के पक्ष में छह में से पांच सदस्यों के बीच आम सहमति उभरी।
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने आज अपनी बैठक के नतीजे जारी कर दिए हैं। समिति ने रेपो रेट को 4.0% पर यथावत रखा है। यह लगातार पांचवीं बार है जब MPC ने रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा है।
RBI MPC ने चालू वित्त वर्ष (FY24) में GDP वृद्धि दर का अनुमान 7.0% रखा है। यह पिछले अनुमान से 0.2% अधिक है।
RBI MPC ने FY24 में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति का अनुमान 5.4% रखा है। यह पिछले अनुमान से 0.1% कम है।
RBI MPC ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ गई है। इसके अलावा, चीन में COVID-19 के नए मामले भी चिंता का विषय हैं।
RBI MPC ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियादें मजबूत हैं। हालांकि, वैश्विक मुद्रास्फीति के दबाव से घरेलू मुद्रास्फीति बढ़ने का खतरा है।
RBI MPC ने कहा कि वह घरेलू मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।
RBI MPC की बैठक के नतीजों पर टिप्पणी करते हुए, RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि समिति ने वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू मुद्रास्फीति के दबाव को ध्यान में रखते हुए रेपो रेट को यथावत रखा है।
दास ने कहा कि समिति ने FY24 में GDP वृद्धि दर के अनुमान को 7.0% रखा है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियादें मजबूत हैं और यह वैश्विक अनिश्चितताओं का सामना करने में सक्षम है।
दास ने कहा कि समिति मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।
RBI MPC की बैठक के नतीजों का भारत की अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ने की संभावना है:
- रेपो रेट के स्थिर रहने से निजी क्षेत्र में उधार लेने की लागत में कोई बदलाव नहीं होगा। इससे निवेश और खपत में वृद्धि होने की संभावना है।
- FY24 में GDP वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाए जाने से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
- मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाए जाने से महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 2023-24 के लिए कुछ प्रमुख चुनौतियाँ हैं:
- रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता।
- चीन में COVID-19 के नए मामले।
- मुद्रास्फीति का दबाव।
- कच्चे तेल और खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि।
- विदेशी मुद्रा भंडार में कमी।
सरकार और RBI इन चुनौतियों का सामना करने के लिए निम्नलिखित कदम उठा रहे हैं:
- वैश्विक अनिश्चितताओं को कम करने के लिए भारत सरकार और अन्य देशों के बीच बातचीत।
- COVID-19 के नए मामलों को रोकने के लिए चीन सरकार द्वारा की जा रही कदम।
- मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए RBI द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना।
- कच्चे तेल और खाद्य पदार्थों की आयात लागत को कम करने के लिए सरकार द्वारा अनुकूलन।
- विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के प्रयास।
इन कदमों से भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी।
यहाँ कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है जो आपको रुचिकर लग सकती है:
- RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) हर दो महीने में एक बार बैठक करती है।
- MPC की बैठकों में, समिति भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति का आकलन करती है और रेपो रेट सहित मौद्रिक नीति के उपकरणों पर निर्णय लेती है।
- रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को धन उधार देता है।
- रेपो रेट के बढ़ने से उधार लेना महंगा हो जाता है, जिससे निवेश और खपत में कमी आ सकती है।
- रेपो रेट के घटने से उधार लेना सस्ता हो जाता है, जिससे निवेश और खपत में वृद्धि हो सकती है।
हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन में COVID-19 के नए मामले से वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ गई है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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