दुबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो दुबई में देश के COP28 सम्मेलन में हैं, उनका शुक्रवार को दुबई में एक व्यस्त दिन होने वाला है।
पीएम मोदी चार संबोधन देंगे और जलवायु संबंधी दो विशेष पहल में भाग लेंगे। दिन भर मोदी जी समिट की 12-दिवसीय ओर संवादात्री मीटिंगों में सात द्विपक्षीय बैठकें करेंगे।
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुबई में COP28 सम्मेलन में बताया कि 2028 में भारत COP28 को आयोजित करने की प्रस्तावित की। उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए तैयार है और इस सम्मेलन की मेजबानी करके अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करना चाहता है।
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COP28 सम्मेलन 2023 के Latest Updates में, 2028 में भारत में COP33 की मेजबानी का प्रस्ताव
COP28 सम्मेलन 2023 के Latest Updates
सन् 2023 में होने वाले COP28 सम्मेलन ने वैश्विक चरम पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का महत्त्वपूर्ण दौर तय किया है। यह सम्मेलन विभिन्न देशों के विरोधात्मक मतभेदों को सुलझाने और आगे की कार्रवाई की दिशा में निर्देश देने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
मोदी ने कहा कि भारत ने क्लाइमेट के मुद्दे को वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर की भावना के साथ महत्व दिया है। उन्होंने भारतीय नीति में जलवायु परिवर्तन को ठोसी करने के लिए कदम उठाए हैं, 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने तकनीकी सहायता भी जारी रखने का वादा किया है। “हम विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन में तकनीकी सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध हैं,” उन्होंने कहा।
COP 28 सम्मेलन 2028 में भारत में होगा, जो क्लाइमेट पर अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को बढ़ाने का महत्वपूर्ण मंच होगा। इस प्रस्ताव को दूसरे देशों के नेताओं ने स्वागत किया और संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इसे “महत्वपूर्ण कदम” बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने COP 28 सम्मेलन में भाग लेने के दौरान चार संबोधन दिए और जलवायु परिवर्तन संबंधी दो विशेष पहलों में भाग लिया। उन्होंने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र, जलवायु परिवर्तन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत के साथ एक विशेष बैठक, और जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए एक साझा घोषणा में भाग लिया।
मोदी ने अपने संबोधनों में भारत की जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तकनीकी सहयोग के लिए भी प्रतिबद्ध है।
मोदी की द्विपक्षीय बैठकों में निम्नलिखित शामिल थे:
- नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रूट
- जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय
- संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान
- संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन
- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन
- फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन
- जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स
इन बैठकों में जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा, और व्यापार और निवेश जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
मोदी के COP28 सम्मेलन में भाग लेने के उद्देश्यों में शामिल थे:
- भारत की जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रतिबद्धता को दोहराना
- जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना
- जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तकनीकी सहयोग प्रदान करना
मोदी के COP28 सम्मेलन में भाग लेने को एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। यह भारत की जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
FAQs:
- क्या COP28 में भारत का योगदान महत्त्वपूर्ण रहा?
- हां, COP28 में भारत ने वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों पर अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- COP33 की मेजबानी के लिए भारत की प्रस्तावना क्या है?
- भारत ने COP33 को अपने देश में आयोजित करने की प्रस्तावना की है, जो पारिस्थितिकी के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण कदम हो सकता है।
- COP28 के परिणामों का क्या प्रभाव हो सकता है?
- COP28 के परिणाम स्थिरता और सटीक कार्रवाई को साकार करने में सहायक होंगे।
- क्या COP28 में कोई महत्त्वपूर्ण संधि हुई?
- COP28 में कई महत्त्वपूर्ण संधियाँ हुईं जो पर्यावरण संरक्षण में मददगार साबित हो सकती हैं।
- COP28 के आयोजन का मकसद क्या है?
- COP28 का मकसद पारिस्थितिकी के क्षेत्र में सकारात्मक कदम उठाना और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए दिशा सूचित करना हो सकता है।
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