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NEWS, हमले से बौखलाये नेतन्याहू: ईरान को नहीं छोड़ूंगा! झूठ मत बोलो! BREAKING

नेतन्याहू और ईरान के बीच बढ़ते तनाव पर पढ़ें पूरी कहानी—क्या यह टकराव तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत है?

Tafseel Ahmad
8 Min Read
Highlights
  • नेतन्याहू की धमकी: इजराइल के प्रधानमंत्री ने ईरान को खुलेआम दी धमकी।
  • हिज़बुल्लाह का ड्रोन हमला: नेतन्याहू के घर के पास गिरा हिज़बुल्लाह का ड्रोन।
  • ईरान का पलटवार: ईरान ने कहा कि इस हमले में उनका कोई हाथ नहीं।
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: रूस और अमेरिका के बीच इस टकराव को लेकर विरोधाभास।

मिडिल ईस्ट: बौखलाये नेतन्याहू इसराइल और ईरान के बीच तनावपूर्ण स्थिति दिन और रात बढ़ती जा रही है। इस बीच, इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर हाल ही में हुआ एक हमला इस टकराव को और गंभीर बना रहा है। हिज़बुल्लाह द्वारा नेतन्याहू के घर पर ड्रोन गिराए जाने के बाद, इसराइल और ईरान के बीच तनाव नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है। इस हमले के बाद नेतन्याहू ने ईरान को खुली धमकी दी, जबकि दूसरी तरफ ईरान ने इस हमले में शामिल होने से साफ इंकार कर दिया है।

इस पूरे मामले ने दुनिया का ध्यान खींचा है, क्योंकि इसके बाद से मध्यपूर्व में शांति और स्थिरता पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। आइए इस घटना और इसके बाद की स्थिति पर विस्तार से चर्चा करें।

बौखलाये नेतन्याहू: ईरान को खुलेआम दी धमकी

हमले के बाद, इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक कड़ा और आक्रामक बयान जारी किया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर उन्होंने लिखा, “ईरान के समर्थक हिज़बुल्लाह द्वारा मेरे और मेरी पत्नी पर किया गया यह हमला एक बहुत बड़ी गलती थी।” उन्होंने आगे कहा कि, “इसराइल किसी भी स्थिति में रुकने वाला नहीं है और दुश्मनों के खिलाफ अपनी जंग को जारी रखेगा।”

नेतन्याहू का बयान इस बात का इशारा है कि इसराइल अब ईरान पर सीधे हमला करने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी इसराइल या उसके नागरिकों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा, उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। उनकी इस धमकी ने तनाव को और बढ़ा दिया है और पूरे मिडिल ईस्ट में स्थिति गंभीर होती जा रही है।

हिज़बुल्लाह के ड्रोन हमले की पूरी कहानी

हाल ही में, हिज़बुल्लाह ने इसराइल के प्रधानमंत्री के घर पर तीन ड्रोन भेजे थे। इनमें से दो ड्रोन को इसराइल की सेना (आईडीएफ) ने मार गिराया, लेकिन एक ड्रोन नेतन्याहू के घर के पास जा गिरा। हालांकि, इस हमले के दौरान नेतन्याहू घर पर नहीं थे, लेकिन इस घटना ने उनकी सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हमले के बाद से ही नेतन्याहू बुरी तरह से बौखलाए हुए हैं, और उनके तीखे बयान इस बात की गवाही देते हैं।

ईरान का पलटवार: झूठ मत बोलो!

इसराइल के प्रधानमंत्री द्वारा ईरान को खुलेआम धमकी देने के बाद, ईरान ने भी तुरंत पलटवार किया। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बागी ने कहा कि, “इस हमले में ईरान का कोई हाथ नहीं है। इसराइल हमेशा झूठ बोलता है और यह हमला भी उसी झूठ का हिस्सा है।” उन्होंने आगे कहा कि ईरान को इस हमले से जोड़ना पूरी तरह से बेबुनियाद है।

ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनी ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “हमास जिंदा था और जिंदा रहेगा।” यह बयान इसराइल द्वारा हमास के प्रमुख यया सिनवार को मार गिराने के बाद आया। खामेनी ने कहा कि यया सिनवार की शहादत हमास के संघर्ष को कमजोर नहीं करेगी, बल्कि यह और मजबूत करेगा। यह बयान इस बात का संकेत है कि ईरान और हमास के बीच सहयोग जारी रहेगा, और इसराइल के हमले उनके आंदोलन को कमजोर नहीं कर पाएंगे।

क्या तीसरा विश्व युद्ध आ सकता है?

इसराइल और ईरान के बीच बढ़ते इस तनाव को देखते हुए, कई विशेषज्ञ इस बात की आशंका जता रहे हैं कि यह टकराव तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ सकता है। बेंजामिन नेतन्याहू की धमकियों और ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की संभावना से स्थिति और भी गंभीर हो गई है। अगर इसराइल ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करता है, तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा, खासकर मिडिल ईस्ट और एशिया में।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पहले ही इसराइल को ईरान पर हमला करने से रोकने की कोशिश की है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका परमाणु ठिकानों पर हमले का समर्थन नहीं करेगा। हालांकि, उन्होंने इजराइल को मिसाइल रक्षा प्रणाली जरूर दी है ताकि अगर ईरान जवाबी हमला करे, तो इजराइल उसके लिए तैयार रहे। इसके बावजूद, नेतन्याहू के बयानों से यह साफ है कि वह ईरान के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकते हैं।

रूस और अमेरिका की भूमिका

इसराइल और ईरान के बीच इस तनाव में रूस और अमेरिका की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। जहां एक तरफ रूस ने ईरान का समर्थन किया है, वहीं अमेरिका ने इजराइल को अपना समर्थन दिया है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि इसराइल को किसी भी कीमत पर ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ईरान ने नॉन-प्रोलिफिकेशन ट्रीटी पर दस्तखत किए हैं और उसके परमाणु ठिकानों का निरीक्षण अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी द्वारा किया जा रहा है, जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

दूसरी ओर, अमेरिका की स्थिति भी स्पष्ट है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसराइल को ईरान पर हमला करने से बचने की सलाह दी है। लेकिन, अगर डोनाल्ड ट्रंप अगले अमेरिकी राष्ट्रपति बनते हैं, तो स्थिति बदल सकती है। ट्रंप ने पहले भी इसराइल को समर्थन दिया है और उनके राष्ट्रपति बनने पर यह संघर्ष और भी भयानक हो सकता है।

इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव

इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते इस तनाव ने पूरी दुनिया को चिंतित कर दिया है। नेतन्याहू और खामेनी के बीच यह टकराव सिर्फ दो देशों का मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति का एक बड़ा हिस्सा बन चुका है। अगर इसराइल और ईरान के बीच सीधा सैन्य टकराव होता है, तो इसका असर सिर्फ मध्यपूर्व ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा।

इस टकराव में अमेरिका और रूस की भूमिका भी अहम हो गई है, जिससे यह संघर्ष और भी जटिल हो गया है। आने वाले दिनों में अगर हालात नहीं सुधरते, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि दुनिया एक और बड़े युद्ध की ओर बढ़ रही है। अब यह देखना होगा कि क्या नेतन्याहू अपनी धमकियों को अंजाम तक पहुंचाते हैं या फिर कोई शांतिपूर्ण समाधान निकलता है।

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