मिशन स्वराज: देश में पहली बार जनता की मांगों पर नेताओं का ऐसा रुख देखने को मिला है। एक यूट्यूब चैनल द्वारा शुरू किए गए मिशन स्वराज के तहत छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों पर आधारित सात मुख्य मांगों को सार्वजनिक रूप से रखा गया। इस मिशन में नेताओं और राजनीतिक दलों को इन मांगों को स्वीकार करने का खुला चैलेंज दिया गया।
मिशन स्वराज की मुख्य मांगें:
- किसानों की आत्महत्या को पूरी तरह रोकना।
- हर किसान को सालाना 15 लाख कमाने का अवसर।
- फ्री और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं।
- सभी को स्वच्छ हवा और सफाई का अधिकार।
- स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देकर रोजगार उपलब्ध कराना।
इन नेताओं ने किया समर्थन:
इस चैलेंज को कई बड़े नेताओं ने स्वीकार किया:
- शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट): आदित्य ठाकरे
- कांग्रेस: यशोमती ठाकुर
- एनसीपी: रोहित पंवार
- एमएनएस: राज ठाकरे
- समाजवादी पार्टी: रईस शेख
- प्रहार जनशक्ति पार्टी: ओम प्रकाश कडू
इनमें से कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से मिशन का समर्थन किया, वीडियो संदेश दिए और सोशल मीडिया पर ट्वीट्स भी किए।
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किन नेताओं ने चुप्पी साधी:
हालांकि, बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और एनसीपी (अजित पवार गुट) ने इस मिशन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यह चिंताजनक है कि महायुति गठबंधन की पार्टियां जनता के हित में उठाई गई मांगों पर चुप रहीं।
उत्तर प्रदेश की घटना ने खींचा ध्यान:
इसी बीच, झांसी के एक सरकारी अस्पताल में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत की दुखद घटना ने सभी को झकझोर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शॉर्ट सर्किट और क्षमता से अधिक बच्चों को रखने के कारण यह हादसा हुआ।
- सरकार की प्रतिक्रिया: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुआवजे की घोषणा की और जांच के आदेश दिए।
- प्रशासनिक खामियां: अस्पताल में 18 बच्चों की क्षमता वाले वार्ड में 49 बच्चों को रखा गया था।
जनता की भावनाओं से दूर नेता:
इस घटना के बावजूद मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम ने अस्पताल का दौरा करने के बाद रोड शो और रैलियां जारी रखीं। यह दर्शाता है कि नेताओं के लिए चुनाव प्रचार, जनता की समस्याओं से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
नेताओं की जवाबदेही तय करने का सवाल:
जनता का यह सवाल जायज है कि जो नेता चुनाव से पहले जनता के हित की बातें करते हैं, क्या वे चुनाव जीतने के बाद अपने वादों पर खरे उतरते हैं? इसके लिए डेडलाइन आधारित जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग उठ रही है।
क्या वाकई बदलाव संभव है?
मिशन स्वराज जैसी पहलें एक उम्मीद जगाती हैं, लेकिन असली बदलाव तभी आएगा जब जनता इन नेताओं की नीतियों को सही मायनों में परखेगी और उनके कामकाज पर सवाल उठाएगी।
मिशन स्वराज: महाराष्ट्र के विकास के लिए 10 विशेषज्ञों की सिफारिशें
महाराष्ट्र में नई सरकार बनने के बाद “मिशन स्वराज” के तहत तीन महीनों में विशेषज्ञों को सरकार में सलाहकार के रूप में शामिल करने का सुझाव दिया गया है। इसका मकसद बजट, समयसीमा, और जमीनी स्तर पर बदलाव लाने वाले ठोस योजना बनाना है। इसके लिए 10 ऐसे अनुभवी व्यक्तियों को चुना गया है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया है।
ये हैं 10 विशेषज्ञ और उनके योगदान:
- भारत भूषण त्यागी
- प्रसिद्ध किसान और शिक्षक
- 80,000 से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया
- उत्तर प्रदेश में पद्मश्री से सम्मानित
- महाराष्ट्र के किसानों को नई राह दिखाने में सक्षम
- डॉ. रमण जनय लूलू
- कृषि वैज्ञानिक और जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग के समर्थक
- किसानों को केमिकल-फ्री और सस्ते खेती के तरीकों की शिक्षा दी
- अभिजीत बनर्जी
- नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री
- गरीबी मिटाने और छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई शोध किए
- अमर्त्य सेन
- नोबेल पुरस्कार विजेता और मानव विकास पर गहरी सोच रखने वाले अर्थशास्त्री
- उनके विचार संयुक्त राष्ट्र तक को प्रभावित कर चुके हैं
- स्वाति परांजपे
- लिज्जत पापड़ की अध्यक्ष, जिन्होंने 45,000 महिलाओं को रोजगार से जोड़ा
- छोटे बिजनेस और सहकारी संस्थाओं को बढ़ावा देने में अहम भूमिका
- सोनम वांगचुक
- लद्दाख के इनोवेटर और शिक्षा सुधारक
- शिक्षा क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया और महाराष्ट्र में शिक्षा सुधार में मददगार हो सकते हैं
- महेश चंद्र मेहता
- पर्यावरणविद और वकील
- ताजमहल की सुरक्षा और दिल्ली में CNG को बढ़ावा देने जैसे महत्वपूर्ण कार्य
- अफरोज शाह
- मुंबई के बीचों की सफाई के लिए जाने जाते हैं
- सफाई और स्वच्छता पर आधारित योजनाएं बनाने में सक्षम
- श्याम सुंदर ज्ञानी
- राजस्थान में ढाई मिलियन से अधिक पेड़ लगाने का श्रेय
- प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने और वृक्षारोपण को बढ़ावा देने में योगदान
- “लैंड फॉर लाइफ” अवार्ड से सम्मानित
- पोपटराव पवार
- गांव के विकास में अग्रणी
- जल संरक्षण और फसल विविधीकरण की तकनीकों के जरिए अपने गांव को आत्मनिर्भर बनाया
सरकार के लिए सुझाव: इन सभी विशेषज्ञों से परामर्श लेकर महाराष्ट्र के लिए ठोस योजनाएं तैयार की जा सकती हैं। अगर महाविकास अघाड़ी सरकार बनती है, तो इन विशेषज्ञों की मदद से प्रदेश को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा सकता है।
मिशन स्वराज के लिए यह कदम जनता और सरकार के बीच विश्वास को मजबूत करेगा और जमीनी स्तर पर बदलाव लाने में सहायक होगा।
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