लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनावों से पहले समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने एक नया नारा दिया है – “जुड़ेंगे तो जीतेंगे”। यह नारा भाजपा के “बटेंगे तो कटेंगे” के विपरीत है और समाज को एकजुट करने का संदेश देता है। भाजपा का नारा जहां बंटवारे और विवाद को बढ़ावा देता है, वहीं अखिलेश का नारा समाज में मिलकर रहने की बात करता है।
क्या है “जुड़ेंगे तो जीतेंगे” का मतलब?
अखिलेश का नारा समाज के सभी वर्गों को एकजुट होने का संदेश देता है। उनका मानना है कि अगर हम सब मिलकर काम करेंगे, तो समाज में खुशहाली आएगी और किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकेगा।
भाजपा के नारे “बटेंगे तो कटेंगे” में जहां समाज को तोड़ने की बात है, वहीं अखिलेश का नारा लोगों को जोड़ने का संदेश है। उनका कहना है कि समाज को बांटकर नहीं, बल्कि जोड़कर ही विकास संभव है।
भाजपा का “बटेंगे तो कटेंगे” नारा और उसका असर
उत्तर प्रदेश के बहराइच और बाराबंकी जैसे जिलों में हाल के वर्षों में सांप्रदायिक झगड़े बढ़े हैं। कई बार देखा गया कि इन घटनाओं में पुलिस की भूमिका भी सवालों में रही। ऐसा लगता है कि भाजपा के “बटेंगे तो कटेंगे” जैसे नारों से समाज में एक डर और असुरक्षा का माहौल बन रहा है, जो समाज को बांटने का काम कर रहा है।
अखिलेश यादव का सीधा जवाब
अखिलेश यादव का कहना है कि भाजपा ने समाज में नफरत फैलाने का काम किया है। उन्होंने अपने नारे “जुड़ेंगे तो जीतेंगे” के जरिए समाज में शांति और भाईचारे का संदेश दिया है। उनका मानना है कि अगर लोग एक साथ मिलकर काम करेंगे, तो वे किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।
अखिलेश का कहना है कि भाजपा सिर्फ वोट के लिए समाज में बंटवारे की राजनीति करती है, जबकि समाज में शांति और एकता का माहौल होना चाहिए।
मीडिया और भाजपा की राजनीति
आजकल मीडिया भी भाजपा की बुलडोजर राजनीति का समर्थन करता दिखता है। मीडिया अक्सर बुलडोजर की कार्यवाहियों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है, जिससे समाज में डर का माहौल बनता है। अखिलेश ने इसे लेकर भी मीडिया पर सवाल उठाए हैं और कहा कि मीडिया को निष्पक्ष होकर समाज को सही जानकारी देनी चाहिए।
भाजपा की राजनीति और जनता की सोच
भाजपा के नारे “बटेंगे तो कटेंगे” से समाज में एक अलगाव की भावना फैलाई जा रही है। भाजपा के नेता लोगों को यह कहते हैं कि समाज को खुद को बचाने के लिए एक होकर रहना चाहिए। इस तरह के नारों से समाज में डर का माहौल बनता है।
अखिलेश यादव का नारा “जुड़ेंगे तो जीतेंगे” इस राजनीति का साफ जवाब देता है। उनका नारा समाज को जोड़ने की बात करता है, जिससे हर व्यक्ति खुशी-खुशी और सुरक्षित महसूस कर सके।
रोजगार और आर्थिक विकास में एकता का महत्व
अखिलेश का मानना है कि एकता से ही समाज में खुशहाली और आर्थिक विकास हो सकता है। जब लोग मिलकर काम करेंगे, तो रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और समाज में एक सकारात्मक माहौल बनेगा।
उनका कहना है कि जब लोग आपस में बंट जाएंगे, तो समाज में विकास संभव नहीं है। आर्थिक उन्नति के लिए जरूरी है कि लोग मिलकर काम करें और एक दूसरे का साथ दें।
एकता का संदेश
अखिलेश यादव का नारा “जुड़ेंगे तो जीतेंगे” समाज को एक नई दिशा में ले जाने का संदेश देता है। यह नारा भाजपा की नफरत फैलाने वाली राजनीति का जवाब है। अखिलेश का मानना है कि अगर लोग एकजुट रहेंगे, तो समाज में शांति और विकास संभव है।
अखिलेश यादव का जवाब और मीडिया का नजरिया
अखिलेश यादव ने हाल ही में एक नारे में भाजपा पर देश में सबसे गन्दी राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने “बटेंगे तो कटेंगे” जैसे नारों को समाज में डर और बंटवारा पैदा करने वाला नारा दिया। अखिलेश ने यह भी कहा कि भाजपा अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए इस तरह की बटबारे वाली राजनीति कर रहे है। मीडिया में भी अकसर भाजपा के बुलडोजर राजनीति की तारीफ होती है, लेकिन अखिलेश ने इसे बुलडोजर की राजनीति के नाम पर समाज को बांटने का प्रयास बताया है।
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