अक्टूबर 2024: महंगाई और आर्थिक संकट का कहर, जानिए कैसे बदल रहा है आपकी जेब पर असर
दिवाली: अक्टूबर 2024 का महीना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद कठिन साबित हो रहा है। घरेलू बाजार में मंदी का दौर है, शेयर बाजार में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत और गिर चुकी है, और विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से हटना आम लोगों की आर्थिक स्थिरता पर बड़ा प्रभाव डाल रहा है। प्याज की बढ़ती कीमतों ने आम जनता की रसोई में हलचल मचा दी है, जबकि दिल्ली जैसे बड़े शहरों में सब्सिडी के बावजूद खुदरा कीमतें आसमान छू रही हैं। महाराष्ट्र से प्याज की सप्लाई बढ़ाकर राहत की उम्मीद तो थी, लेकिन असलियत में इसका असर खास नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में आर्थिक मंदी से जूझ रहे मिडिल क्लास के लिए यह समय और अधिक चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।
ये दिवाली का त्यौहार, जो हमेशा से ख़ुशी और उत्साह लेकर आता है, इस बार कुछ अलग ही कहानी के साथ आया है। अक्टूबर 2024 में महंगाई और महंगाई की मार ने हर घर पर अपना असर दिखाया है। त्यौहारी शॉपिंग और सजाबत के सपने इस बार लोगों के लिए एक बड़ा वित्तीय चुनौती बन गए हैं। बढ़ती हुई जीवन यापन की लागत ने लोगों को सोचे पर मजबूर कर दिया है – क्या त्यौहार की ख़ुशी बरक़रार रख पाएंगे, या अपने बजट पर लगाम लगानी पड़ेगी? आइए, देखें इस दिवाली पर खर्च कैसे करें, यह सब सब पर असर डाल रहा है और यह त्यौहार इस साल एक अलग चेहरा लेकर कैसे आया है।
अक्टूबर की महंगाई और आर्थिक मंदी
अक्टूबर का महीना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कठिन साबित हुआ। शेयर बाजार में गिरावट, डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी और विदेशी निवेशकों की वापसी से आर्थिक स्थिरता को झटका लगा। प्याज की बढ़ती कीमतों और इसकी दिल्ली में सप्लाई के बावजूद आम जनता को राहत नहीं मिली। रिपोर्ट्स के अनुसार, महाराष्ट्र से प्याज की ट्रेन दिल्ली लाई गई, लेकिन इसका असर खुदरा कीमतों पर खास नहीं दिखा।
अन्य जानकारी – गिरिराज सिंह हिंदू जगाओ यात्रा: क्या सच में हिंदू समाज को जागरूक किया जा रहा है?
महंगाई की मार
महंगाई के बढ़ते आँकड़े बताते हैं कि खाने-पीने की चीजों के दाम में बड़ी वृद्धि हुई है। हिंदू अखबार के अनुसार, पिछले साल के मुकाबले इस साल महंगाई 50% तक बढ़ चुकी है, जिससे मिडिल क्लास और असंगठित श्रमिक वर्ग पर बुरा असर पड़ा है। एक औसत परिवार की मासिक बजट पर इसका गहरा असर पड़ा है और उनकी बचत में कमी आई है।
ऑनलाइन शॉपिंग का बढ़ता प्रभाव
दिवाली जैसे त्योहारों के मौसम में भी ग्राहकों की क्रय शक्ति पर असर पड़ा है। शहरी किराना दुकानों की बिक्री में गिरावट आई है, जबकि ऑनलाइन शॉपिंग और क्विक डिलीवरी सर्विसेज का चलन बढ़ता जा रहा है। इससे दुकानदारों को प्रतिस्पर्धा में पीछे रहना पड़ रहा है, खासकर जब ई-कॉमर्स कंपनियाँ भारी डिस्काउंट देती हैं।
ऑटोमोबाइल सेक्टर की चुनौतियाँ
कार सेक्टर भी मंदी की चपेट में है। भारी डिस्काउंट के बावजूद कारों की बिक्री नहीं बढ़ी है, जिसके कारण डीलरों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शोरूम में लाखों कारें बिना बिके खड़ी हैं, जिससे वाहन निर्माताओं और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
दिल्ली का प्रदूषण और उससे जुड़ी समस्याएँ
अक्टूबर का महीना दिल्ली में प्रदूषण के लिए भी जाना गया। कार्बन प्रदूषण और पराली जलाने के कारण दिल्ली की हवा में जहरीले कण बढ़ गए हैं। लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, और सरकार के विभिन्न प्रयासों के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो रहा। दिल्ली की इस गंभीर स्थिति में कार्बन प्रदूषण से राहत मिलती नहीं दिख रही है।
अन्य जानकारी – राहुल और प्रियंका गांधी पर गोदी मीडिया का झूठा हमला: सच क्या है? BREAKING
अन्य जानकारी – इजराइल और ईरान में तकरार: हमले और जीत के ऐलान की पूरी कहानी BREAKING