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इजरायली सेना की बर्बरता: अस्पतालों पर बमबारी और बच्चों का नरसंहार BREAKING

इजरायली सेना की कार्रवाई में अस्पतालों और ऑक्सीजन स्टेशनों पर बमबारी के कारण बच्चों की जानें गईं। क्या यह मानवता के खिलाफ अपराध नहीं है?

Tafseel Ahmad
5 Min Read
अस्पतालों पर बमबारी और बच्चों का नरसंहार
Highlights
  • इजरायली सेना ने कमाल अदवा अस्पताल के ऑक्सीजन स्टेशन पर बमबारी की, जिससे कई बच्चों की जान गई।
  • पिछले एक साल में 128 पत्रकारों की हत्या हुई, जिनमें 123 फलस्तीनी पत्रकार हैं।
  • गाजा में 14 बच्चों के नरसंहार की रिपोर्ट।

इजरायली सेना की बर्बरता का एक नया अध्याय सामने आया है, जिसमें मानवता की सारी सीमाएं पार कर दी गई हैं। अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली सेना ने बेत लाया के कमाल अदवा अस्पताल में बमबारी की है, जहां न केवल मरीज थे, बल्कि ऑक्सीजन का स्टेशन भी था। इस हमले में कई बच्चे मारे गए हैं, जो इस बात का सबूत है कि इजरायली सेना ने इंसानियत की सभी सीमाओं को लांघ दिया है।

इजरायली सेना की बर्बरता: अस्पतालों में बमबारी से बच्चे मारे गए!

हालात की गंभीरता को समझने के लिए यह जानना आवश्यक है कि इस हमले में कितने मासूम बच्चों की जान गई। गाजा से एक और शॉकिंग खबर आई है जिसमें 14 बच्चों की हत्या का दावा किया गया है। यह जानकर हैरानी होती है कि इजरायल की बमबारी सिर्फ सैन्य ठिकानों पर नहीं, बल्कि अस्पतालों पर भी हो रही है। ऐसे में क्या हम इन कार्यों को इंसानियत के खिलाफ मान सकते हैं?

इसके अलावा, लेबनान में भी इजरायली सेना ने एक बिल्डिंग पर हमला किया, जहां दो समाचार चैनलों के पत्रकार मौजूद थे। इस हमले में तीन पत्रकार मारे गए। ये घटनाएं उस सोच को चुनौती देती हैं, जो यह कहती है कि युद्ध में सभी पक्ष समान होते हैं। यदि आप आंकड़ों पर गौर करें, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि इस युद्ध में पत्रकारों की सुरक्षा भी कितनी गंभीर खतरे में है। पिछले एक साल में 128 पत्रकारों की हत्या हुई है, जिनमें 123 फलस्तीनी हैं, और सिर्फ दो इजरायली।

गाजा से आ रही खबरों में 14 बच्चों के नरसंहार की पुष्टि की गई है। बीबीसी के अनुसार, इजरायली सेना ने खान यूनिस में एक बड़े हमले में एक परिवार के 33 लोगों को मौत के घाट उतारा। यह हमला बेजा था, क्योंकि इन रिहायशी इलाकों में कोई भी आतंकवादी नहीं था। यह केवल एक निर्दोष परिवार की हत्याओं का सिलसिला था।

आप सोच रहे होंगे कि ऐसे में हम क्या कर सकते हैं। ये सभी घटनाएं हमें बताती हैं कि दुनिया की आंखें बंद हो गई हैं। हर समाचार चैनल इस मानवीय संकट को कवर कर रहा है, लेकिन किसी भी चैनल को इजरायल की कार्रवाई को कटघरे में रखने की हिम्मत नहीं हो रही है।

किसी भी युद्ध का एक पक्ष कमजोर होता है, और अगर आप आंकड़ों पर ध्यान दें, तो साफ है कि इस युद्ध में फलस्तीनी नागरिकों की संख्या सबसे अधिक है। क्या हमें यह समझने में कठिनाई हो रही है कि युद्ध का यह स्वरूप केवल बर्बरता को जन्म दे रहा है?

इजरायली सेना के हमलों की वजह से अब तक 40,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इस संदर्भ में, एक पत्रकार के रूप में मेरा कर्तव्य है कि मैं आपको सच बताऊं। मारे गए बच्चों की तस्वीरें और वीडियो देखना मेरे लिए एक चुनौती थी, और मुझे यह बताते हुए खेद हो रहा है कि मैंने उन बर्बरता की घटनाओं को खुद देखा है।

आज हम एक ऐसे दौर में हैं, जहां 14 बच्चों की मौत से अधिक महत्वपूर्ण हमारे लिए इस संघर्ष का न्याय होना चाहिए। क्या हम इस मुद्दे पर ध्यान देने के लिए तैयार हैं, या हम फिर से चुप रहेंगे?

इजरायली सेना द्वारा की गई इन बर्बरता की घटनाओं को मानवता के खिलाफ अपराध मानते हुए हमें इसकी गंभीरता को समझने की जरूरत है। अगर हम अभी भी इस पर चुप्पी साधे रहें, तो आने वाले दिनों में हमें इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। अब समय आ गया है कि हम इस मुद्दे को उठाएं और मानवता की रक्षा करें।

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Abhishar Sharma

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