इसराइल और ईरान के बीच लगातार बढ़ते तनाव ने दुनिया का ध्यान खींचा है। हाल ही में इसराइल ने ईरान पर हमला किया, जो उस वक्त हुआ जब 1 अक्टूबर को ईरान ने इसराइल पर करीब 150 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं थीं। इस हमले के बाद से यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या दोनों देशों के बीच बड़े पैमाने पर युद्ध छिड़ सकता है, या यह केवल सीमित जवाबी कार्रवाई रह जाएगी।
ईरान ने कहा कि उसने इसराइली मिसाइलों को अपने एयर डिफेंस सिस्टम से रोकने में सफलता हासिल की है। हालांकि, इसराइल ने भी अपने हमले को एक जरूरी कदम बताया है। इसके बावजूद दोनों पक्ष एक-दूसरे के दावों को गलत साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसराइल के सरकारी प्रवक्ता का कहना है कि यह हमला उन सात मोर्चों के जवाब में किया गया है, जिनसे लगातार इसराइल पर हमले हो रहे हैं। इसके पीछे ईरान समर्थित संगठनों का हाथ होने का दावा किया जा रहा है, जिन्हें प्रॉक्सी कहा जा रहा है।
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इसराइल की प्रमुख मीडिया, जैसे जेरूसलम पोस्ट, का कहना है कि यह हमला एक बड़ा संदेश है, जो ईरान को संयम बरतने के लिए कह रहा है। जेरूसलम पोस्ट ने यहां तक लिखा है कि अगर ईरान ने अपना रुख नहीं बदला तो आगे की लड़ाई और गंभीर हो सकती है। हालांकि, ईरान ने इस हमले को छोटी कार्रवाई बताते हुए इसे कोई बड़ी चुनौती नहीं माना है और साथ ही अपने सैन्य ठिकानों पर हुए नुकसान को भी मामूली बताया है।
वहीं, अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसराइल ने हमला करने से पहले ईरान को चेतावनी दी थी कि अगर उसने जवाबी कार्रवाई की तो इसराइल और बड़े पैमाने पर हमला करेगा। अमेरिकी पेंटागन ने यह भी कहा है कि अमेरिका, इसराइल और उसके सहयोगियों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है। वाइट हाउस ने इसराइल के इस कदम को सही ठहराया है और उम्मीद जताई है कि इससे दोनों देशों के बीच सीधी टकराव की स्थिति थम जाएगी।
ईरान ने अपने क्षेत्र में विस्फोट की तस्वीरें और वीडियो जारी कर यह दावा किया कि उसके सिस्टम ने इसराइली मिसाइलों को नाकाम कर दिया है। इस घटना से साफ है कि दोनों देश युद्ध के कगार पर खड़े हैं, लेकिन अब भी इसे टालने की कोशिशें जारी हैं। दोनों देशों के बीच इस तरह के टकराव ने पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है और इसे देखकर बाकी देश भी सतर्क हो गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने उत्तरी गाजा में हो रही घटनाओं पर चिंता जताई है। बताया जा रहा है कि इसराइली हमलों से वहां के अस्पतालों की स्थिति बेहद खराब हो गई है। इस हमले के चलते कई मरीजों की जान भी जा चुकी है। उत्तरी गाजा में लगातार हो रही हिंसा ने मानवीय संकट को और बढ़ा दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर की है और इसे एक गंभीर मानवीय आपदा बताया है।
कुल मिलाकर, इसराइल और ईरान के बीच यह टकराव और भी बड़ा रूप ले सकता है। दोनों देश इस समय एक दूसरे को कड़ी चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन कोई भी सीधे तौर पर युद्ध शुरू करने का इच्छुक नजर नहीं आ रहा। इस तरह के टकराव के बाद यह सवाल उठता है कि क्या यह टकराव एक पूर्ण युद्ध की ओर बढ़ेगा या केवल सीमित सैन्य जवाब तक ही सीमित रहेगा?
इज़राइली हमले में ईरान को हुआ नुक़सान
इसराइल ने ईरान पर हमला कर दो ईरानी सैनिकों को मार गिराया है। बताया जा रहा है कि इसराइल ने ईरान के महर एयर बेस पर निशाना साधा। इजराइल ने दावा किया है कि ईरान का एयर डिफेंस सिस्टम कमजोर है और इसराइल किसी भी समय हमला कर सकता है। वहीं, जॉर्डन ने इजराइल को अपने एयर स्पेस का उपयोग करने दिया, जिससे इजराइल के फाइटर जेट्स सीधे ईरान तक पहुंचे। इस घटना के बाद ईरान ने जवाबी हमला करने की बात कही है। रूस ने पहले ही ईरान को इस हमले के बारे में सतर्क कर दिया था, जिससे ईरान की तैयारियों में कोई कमी नहीं रही।
इसराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस हमले के बाद कोई बड़ा बयान नहीं दिया, लेकिन ईरान के नेता आयतुल्लाह खामनेई ने खुतबा में कहा कि अमेरिका और इसराइल की साजिशें नाकाम होंगी। इस स्थिति में दुनिया चिंतित है कि कहीं यह टकराव व्यापक युद्ध में न बदल जाए।
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