इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव पर अमेरिका की भूमिका
ईरान-इजरायल तनाव – पिछले एक घंटे में इजरायल ने ईरान पर सटीक सैन्य हमले किए हैं, जिसका मकसद ईरानी मिसाइल हमलों का जवाब देना है। इजरायल की सुरक्षा और उसकी आक्रामक नीति के तहत यह कार्रवाई अमेरिकी मिसाइल रक्षा प्रणाली से लैस होकर की गई है, जो अमेरिका ने हाल ही में इजरायल को आपूर्ति की थी। अमेरिका ने ईरान के संभावित जवाबी हमले को देखते हुए इजरायल को थाड (THAAD) मिसाइल रक्षा प्रणाली उपलब्ध कराई है, जिसका संचालन अमेरिकी सैनिक कर रहे हैं। यह पहली बार है कि अमेरिकी सैनिक सीधे इस क्षेत्र में ऐसी सैन्य स्थिति में शामिल हुए हैं।
इजरायल-ईरान संघर्ष की वर्तमान स्थिति
ईरान ने अक्टूबर में इजरायल पर 200 बैलिस्टिक मिसाइल दागी थी, जिसका परिणाम आज के हमलों में देखने को मिला है। इजरायल के इन हमलों के बाद माना जा रहा है कि ईरान जवाबी कार्रवाई कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय तनाव और भी बढ़ सकता है। इसके अलावा, ईरान की राजधानी तेहरान में कई विस्फोटों की खबरें हैं, लेकिन फिलहाल उन विस्फोटों की पुष्टि नहीं हो पाई है।
अमेरिका का सैन्य समर्थन और क्षेत्रीय उपस्थिति
अमेरिका ने इस क्षेत्र में करीब 40,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं, जिनमें इराक और सीरिया में जमीनी सैनिकों के साथ-साथ भूमध्य सागर में कई अमेरिकी युद्धपोत भी शामिल हैं। इन सैन्य व्यवस्थाओं का मुख्य उद्देश्य इजरायल की रक्षा और क्षेत्रीय शांति को बनाए रखना है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ता है तो अमेरिकी सैनिकों पर भी खतरा बढ़ सकता है।
अमेरिका ने अपने सबसे आधुनिक बी-2 बमवर्षक भी तैनात किए हैं जो गहरे लक्ष्यों को निशाना बनाने में सक्षम हैं, और ये इस क्षेत्र में अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा, एफ-18 और एफ-35 जैसे युद्धक विमान और सशस्त्र विमान वाहक भी इस क्षेत्र में तैनात हैं, जो किसी भी आपात स्थिति के लिए तत्पर हैं।
अमेरिका-इजरायल समन्वय और रक्षा नीति
अमेरिका और इजरायल के बीच दीर्घकालिक सैन्य साझेदारी है, लेकिन हाल के दिनों में कुछ मुद्दों को लेकर संबंधों में तनाव भी रहा है। इसके बावजूद, अमेरिका ने इजरायल को ईरान के जवाबी हमले के लिए सभी आवश्यक साधन उपलब्ध कराए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अनुसार, अमेरिका इजरायल को आत्मरक्षा के तहत इस प्रकार के हमलों में पूर्ण समर्थन दे रहा है। इजरायल और अमेरिका के बीच इस सहयोग का उद्देश्य ईरान को यह संदेश देना है कि वे किसी भी परिस्थिति में जवाब देने में सक्षम हैं।
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