मुंबई: आजकल डिजिटल ठगी के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं, और इनमें सबसे बड़ा और खतरनाक है ‘डिजिटल अरेस्ट’ का तरीका। हाल ही में एक घटना सामने आई जिसमें एक व्यक्ति ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर मुंबई के मिस्टर सिन्हा से संपर्क किया और उन्हें बताया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके 2 करोड़ 60 लाख रुपये का धोखाधड़ी हुआ है। इससे पहले की मिस्टर सिन्हा कुछ समझ पाते, ठग ने उन्हें वीडियो कॉल पर लाने की धमकी देकर पूरा झांसा दिया।
क्या है डिजिटल अरेस्ट का फर्जीवाड़ा?
डिजिटल अरेस्ट एक साइबर ठगी का नया तरीका है जिसमें ठग, पुलिस अधिकारी या सीबीआई अधिकारी के रूप में सामने आते हैं और लोगों को झूठे अपराधों में फंसाने की धमकी देते हैं। इन ठगों का मकसद होता है कि व्यक्ति को इतना डराएं कि वे अपने पैसे ठगों के खाते में डालने को मजबूर हो जाएं। ये ठग पीड़ित से वीडियो कॉल पर आने को कहते हैं, जहां पर एक नकली कोर्ट, पुलिस अधिकारी, और अन्य प्रामाणिक दस्तावेजों का फर्जी सेटअप दिखाया जाता है, जिससे व्यक्ति आसानी से ठगी का शिकार बन जाता है।
ठगी का तरीका और उसके प्रभाव
ठग ने मिस्टर सिन्हा को धमकाया कि अगर वे तुरंत वीडियो कॉल पर नहीं आते तो उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। इस तरह के ठग पीड़ितों को डराकर उनसे पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं। ठगों का दावा होता है कि आपके नाम से कई फर्जी मामले दर्ज हैं और उन्हें निपटाने के लिए पैसे देने होंगे। मिस्टर सिन्हा की तरह ही कई लोग इस तरह की ठगी के शिकार हो रहे हैं।
कैसे काम करता है यह ठगी का नेटवर्क?
यह नेटवर्क बेहद संगठित तरीके से काम करता है। ठग न सिर्फ वीडियो कॉल का उपयोग करते हैं बल्कि नकली कोर्ट, पुलिस स्टेशन का माहौल तैयार करके लोगों को विश्वास में लेने का प्रयास करते हैं। फर्जी आईडी कार्ड, सरकारी संस्थानों के लोगो, और नकली दस्तावेज़ का उपयोग करके ये ठग पीड़ित को और भी भ्रमित कर देते हैं। इस प्रक्रिया में ठग पीड़ित से संपर्क में बने रहते हैं, ताकि वे किसी को इस ठगी के बारे में न बता सके।
कौन हैं इनके शिकार?
साइबर क्राइम विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की ठगी के शिकार अधिकतर वे लोग होते हैं जिनके पास बैंक में बड़ी राशि होती है, जैसे बुजुर्ग, रिटायर्ड व्यक्ति और अन्य धनवान लोग। इस गिरोह के पास ऐसे हजारों लोगों का डेटा होता है जिन्हें वे शिकार बना सकते हैं। अक्सर इन लोगों को डराकर उनसे बड़ी रकम ठग ली जाती है।
डिजिटल ठगी के शिकार होने से कैसे बचें?
- अनजान कॉल्स पर ध्यान न दें: कोई भी अनजान व्यक्ति अगर खुद को सरकारी अधिकारी बताकर आपसे संपर्क करे, तो पहले उसकी पहचान की पुष्टि करें।
- वीडियो कॉल पर न जाएं: अगर कोई आपको वीडियो कॉल पर लाने की बात कहे और आपकी निजी जानकारी मांगने लगे तो सतर्क रहें।
- फर्जी लिंक से दूर रहें: कई बार ठग आपको लिंक भेजते हैं जिन्हें क्लिक करने से आप फिशिंग का शिकार हो सकते हैं।
- सरकारी हेल्पलाइन का उपयोग करें: भारत सरकार ने साइबर क्राइम की शिकायतों के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 उपलब्ध कराया है। ऐसे मामलों में आप इस हेल्पलाइन पर संपर्क कर सकते हैं।
सरकार की ओर से प्रयास
केंद्र सरकार और राज्य सरकारें इस ठगी को रोकने के लिए कई प्रयास कर रही हैं। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस तरह की डिजिटल ठगी से निपटने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में लोगों को इस तरह की ठगी से बचने के तरीके बताए हैं।
डिजिटल ठगी के नए-नए तरीके
डिजिटल ठगी के मामलों में दिनोंदिन वृद्धि हो रही है और डिजिटल अरेस्ट जैसी घटनाओं से बचने के लिए लोगों को सतर्क रहना आवश्यक है। इस ठगी से खुद को बचाने के लिए हर व्यक्ति को सतर्क रहना चाहिए और इस प्रकार के फोन कॉल्स से सावधान रहना चाहिए। जब भी इस तरह का कॉल आए, तो सरकारी हेल्पलाइन पर इसकी शिकायत करें और किसी भी प्रकार के दबाव में आकर पैसे ट्रांसफर न करें।
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