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CIA Hacked : कैसे 2 छोटे बच्चों ने किया CIA को हैक

Hasan Khan
16 Min Read
Highlights
  • शानदार हैकिंग का कारनामा: एक 15 साल के बच्चे ने CIA के डायरेक्टर जॉन ब्रेनन को फोन करके CIA के सिस्टम को हैक किया, जिससे पूरी दुनिया में हलचल मच गई।
  • पिछले अनुभव का प्रभाव: इस हैकिंग की शुरुआत 2008 में हुई, जब एक अन्य लड़के ने अपने गेमिंग अनुभव का उपयोग करते हुए हैकिंग की दुनिया में कदम रखा।
  • हैकिंग का उद्देश्य: क्रैका और डिफ़ॉल्ट ने अमेरिका के सरकारी डेटा की सुरक्षा को चुनौती देने और उसके दुरुपयोग के खिलाफ प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए यह योजना बनाई।
  • अंतिम परिणाम: दोनों हैकरों को गिरफ्तार किया गया, और उनके असामान्य कारनामों ने साइबर सुरक्षा में खामियों को उजागर किया, जिससे अन्य हैकरों के लिए एक चेतावनी मिली।

अक्टूबर 2015 में वर्जिनिया के सिया मुख्यालय में जॉन ब्रेनन को एक अननोन नंबर से कॉल आती है। कॉल करने वाला कोई छोटा लड़का होता है जिसने जॉन को बताया कि उसने CIA सीआईए के सारे सिस्टम को हैक कर लिया है।

इस कॉल को Prank call समझा जाता ये कॉल अगर किसी किसी आम इंसान की जाती है लेकिन जॉन ब्रैनन उसे वक्त दुनिया की सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसी CIA (Central Intelligence Agency) के डायरेक्टर थे जॉन ब्रैनन को फोन करना तो दूर की बात उनके पर्सनल मोबाइल नंबर जानना भी एक बहुत बड़ी बात है। ये कहानी उन दो बच्चों की है जिन्होंने सीआईए के सारे सिस्टम हैक करके अमेरिका जैसी Super Power को तिगिनी का नाच नचा दिया था।

CIA Hacked (Central Intelligence Agency) क्यू किया बच्चे ने CIA को हैक

वह बच्चा कौन था और उसने क्यों और कैसे यह कारनामा कर दिया था। उसकी मांग पूछी है तो उसने कहा है कि अमेरिका मध्य पूर्व Palestine में हमले बंद करे और दुनिया को सुकून से रहने दे । उनके फोन कॉल से पहले ही सीआईए को पता पड़ चुका था की उनका सिस्टम हैक हो चुका है। यह हैकिंग सिया समेत अमेरिका को क्या नुकसान पहुंचा रही थी, इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले है । कॉल बंद होते ही पूरी खबर सामने आई और CIA की हरकतें सामने आईं और क्योंकि एक बच्चे ने इतनी बड़ी खुफिया एजेंसी को हैक किया था तो यह सीआईए के लिए काफी शर्म की बात थी।

आपको यहाँ बात दे कि सीआईए के एजेंट सिर्फ इसी में अपनी हार मानते हैं। अगर उनकी सिर्फ पहचान का खुलासा हो जाए. यहां तक ​​कि सीआईए मुख्यालय के अंदर स्टार बग्स की एक ब्रांच भी है। जो अधिकारी को जिन कपों में कॉफ़ी देते हैं उन पर कोई लोगो नहीं होता और ना ही किसी एजेंट का नाम लिखा होता है। इसका कारण यह है कि उन कपों को ट्रेस करके एजेंटों तक नहीं पहुंचाया जा सका। अब आप सोचिए कि जो सीआईए छोटी छोटी चीजों में इतनी ध्यान रखती है उसके लिए उनका सिस्टम हैक होना कितनी बड़ी बात होगी जांच शुरू हुई तो पता चला कि यह कॉल अमेरिका से दूर इंग्लैंड के शहर लेस्टर से एक पंद्रह साल के बच्चे ने की थी। ये बच्चा खुद को क्रैका कहता था और उसने एक हैकिंग कम्युनिटी बना रखी थी जिसका नाम क्रैकस विद एटीट्यूड था। पर यह कॉल सीआईए को कैसे और क्यों किया गया था इसके बारे में जानने के लिए हमें थोड़ा और पीछे 2008 में जाना होगा, जहां से कहानी की शुरुआत होती है।

CIA Hacked : 2008 से हुई थी हैकिंग की शुरुआत

2008 में अमेरिका की स्टेट वुसियाना में एक दूसरा लड़का था जिसकी पहचान डिफ़ॉल्ट के नाम से होती है और ये वीडियो गेम का बहुत शौकीन था। उन्होंने वीडियो गेम जीतने के लिए गेम्स की प्रोग्रामिंग में घुसकर कुछ बदलाव करना शुरू कर दिया। वो ऑनलाइन गेम की तरह काउंटर स्ट्राइक को अपने मिसराब्ला से जोड़ता है और उसके नियमों को बदलकर बड़ी आसानी से जीत जाता है यानी के वो Cheets बनाता था। ये सब उसने इंटरनेट से ही सीखा था। डिफॉल्ट नामी लड़के को इस सबकी प्रेरणा अनाम नामी हैकिंग ग्रुप से मिली थी जो कि 2008 में काफी फेमस हो चुका था। एनोनमस ग्रुप उस वक्त अक्सर न्यूज की हेडलाइन बना देता था। ये ग्रुप अपनी आवाज उठाने के लिए बड़ी-बड़ी वेबसाइटें बनाता है और उन पर अपनी मर्जी का मैसेज लिखता है। ये सब कुछ देखकर डिफ़ॉल्ट एनोनोमास से काफी प्रभावित हुआ और फिर उसने भी हैकिंग की दुनिया में बढ़ना शुरू कर दिया। डिफॉल्ट ने आहिस्ता आहिस्ता छोटी-मोटी वेबसाइटें शुरू कर दी। लेकिन वो कुछ बड़ा करना चाहता था जिसके लिए उसे भी किसी हैकिंग ग्रुप की जरूरत थी। मूल डिफॉल्ट एनस्ट नाम के एक हैकिंग ग्रुप में शामिल हो गया। इस ग्रुप में पहले भी कई वेबसाइट हैक कर चुका था लेकिन ये हैकिंग सिर्फ राजनीतिक उद्देश्य के लिए की जाती थी।

कैसे शुरू हुई बच्चो ने शुरू की हैकिंग

यानी इंटरनेट पर वायरस को कंट्रोल करने के लिए कंप्यूटर का भी इस्तेमाल किया जाता था। वो सभी कंप्यूटर जिनमें वायरस होता है उन्हें जब के कंप्यूटर के इस पूरे नेटवर्क को बॉट नेट कहते हैं। क्योंकि एक डिफॉल्ट के पास भी इस बोट नेट का एक्सेसरीज़ था और उसने देखा कि इस बोट नेट में एक कंप्यूटर ऐसा है जो कनाडा के एक मेडिकल कॉलेज का था। डिफाउल्ट ने उस कंप्यूटर पर थोड़ी सी मेहनत की और उस मेडिकल कॉलेज के पिछले सालों के रेकॉर्ड्स हासिल कर लिए । उसने देखा की स्कूल ने. नौ मिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम यूजर से अभी वसूलनी थी और ये सारे रिकॉर्ड अब डिफॉल्ट के पास आ चुके थे जो उसने कॉलेज के कंप्यूटर निकले थे । पहली बार मुश्किल काम कामयाब हो चुकी थी ।

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इसकी वजह से मेडिकल कॉलेज का सारा निज़ाम ब्रेक हो गया। ये पहली हैकिंग तो दुर्भाग्य में थी, लेकिन अगली हैकिंग गुस्से में की गई। दो हज़ार चौदह में दीनमख की हुकूमत ने एक ऐसा शर्मनाक कानून पारित किया जिसके अनुसार जानवरों के साथ क्रूरता की जा सकती है। ये खबर पूरी दुनिया में जानवरों के साथ गलत हरकतें करने वालों को बहुत बुरी लगी। डिफॉल्ट के पास खुद भी एक कुत्ता था, जिसे वह बहुत प्यार करता था। लिहाजा ने डिफ़ॉल्ट गुस्से में आकर अपने समूह के साथ मिलकर डेनमार्क की ऑफिशल वेबसाइट को हैक कर लिया और उस पर बड़ी-बड़ी राइटिंग दी कि जानते हैं कि आपकी सरकार जानवरों से नफरत है। ना सिर्फ इतना बल्कि डिफॉल्ट ने बॉट नेट का इस्तेमाल करके इस कानून के फ़ेवर में चलाने वाली भी वेबसाइट बनाई गई थी उन पर अटैक करके उन्हें भी बंद कर दिया। डेनमार्क की ऑफिशल वेबसाइट हैक होने की वजह से ये बात फैली और पूरी दुनिया में डेनमार्क के इस कदम की मज़म्मत होने लगी। लोग डेनमार्क को बुरा कहने लगे. अंततः डेनमार्क की सरकार के ऊपर दबाओ बना ओर उसने ये कानून वापस ले लिया ।

डिफ़ॉल्ट पहली बार अपने मकसद मे कामयाब हो चुका था पर लोग इसका क्रेडिट एनोनोमास ग्रॉप को देने लगे क्योंकि उस वक्त यही हैकिंग ग्रुप हेड लाइन बनाया गया था। इस बात को उसने बिल्कुल भी पसंद नहीं किया, इसका श्रेय कोई और ले रहा है, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और अपना काम जारी रखा। दूसरे हैकर की तरह डिफ़ॉल्ट ने भी अपनी पहचान का खुलासा. नहीं किया जो जानता था कि हैकिंग की वजह से अगर कभी वो ट्रेस हो जाए तो यह काफी भयानक हो सकता है। वह आम तौर पर अपने घर का वाई-फाई इस्तेमाल नहीं करता था बल्कि उसने एक सेटेलाईट कनेक्शन खरीद रखा था। उसने अपने घर से काफी दूर इंस्टॉल किया हुआ था और वह अपने घर तक एक निजी नेटवर्क के माध्यम से इंटरनेट का इस्तेमाल करता था। उनके कंप्यूटर भी काफी सुरक्षित थे।, खैर अभी तक आपने इस कहानी के सिर्फ दो किरदारों के बारे में जाना है। एक है क्र्राका. जो कि इंग्लैंड और दूसरे डिफ़ॉल्ट में जो usa में रहता था।. दो हज़ार तेरह से पहले ये एक दूसरे को नहीं जानते थे पर एक वाक्य हुआ जिसके कारण से ये दोनों एक हो गए।

CIA Hacked मे जब मचा बवाल

जबकि एडवर्ट जोसेफ नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी में कम्प्यूटर इंटेलिजेंस कंसल्टेंट थे। अमेरिकी सरकार के प्रोजेक्ट पर काम करते समय इन्हें ये पुराने हो गए । हर इंटरनेट अकाउंट का डाटा और उसकी निजी जानकारी अपने पास के ऑफिसर से लेता और फिर उसे अपने मकसद के लिए इस्तेमाल करता जबकि यूजर को इस बात का खामियाजा नहीं उठाना पड़ता। एडवर्ट जोसेफ चाहते थे मगर दूसरी तरफ उन्हें ये डर भी था कि अमेरिका में रहते हुए ये काम नहीं किया जा सकता। यहां तो उन्हें मार दिया जाएगा या फिर गुप्त जानकारी लीक करने के जुर्म में उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। तो उन्होंने कुछ दिनों की छुट्टी ली ओर हाँग काँग चले गए । उन लड़कों ने अमेरिका के इस रहस्य को दुनिया के सामने खोलकर रख दिया। ये खबर लीक होते ही पूरी दुनिया में तहलका मच गया।

लोगों में गुस्सा पाया जाने लगा कि उनका डाटा उनकी अनुमति के बिना इस्तेमाल हो रहा है और इसी बात पर प्रतिक्रिया के तौर पर डिफ़ॉल्ट और क्रेक आपस में संपर्क हुआ।. दोनों ने अमेरिकी सरकार और सीआईए को सबक सिखाने का फैसला कर लिया।

CIA Hacked : (Central Intelligence Agency) को सबक सीखने के लिए बनाया हैकिंग का प्लान

वो CIA को एहसास दिलाना चाहते थे कि लोगों की निजी जानकारी जब लीक होती है तो कैसा महसूस होता है। ट्रेक और डिफॉल्ट का मकसद एक था। डिफॉल्ट ग्राहकों की गोपनीयता खत्म करने से बदला लेना चाहता था, जबकि क्रैक गाजा पर किए जाने वाले हमलों का बदला लेना चाहता था। सबसे पहले उन्होंने अमेरिकन नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी (Central Intelligence Agency) के निदेशक जेम्स क्लपर का फोन नंबर सार्वजनिक किया था। और किसी को भी सिर्फ गूगल करने से उनका फ़ोन नंबर मिल जाने लगा अब वह किसी और अच्छी प्रोफाइल वाले आदमी की हैक करना चाहते थे और उन्होंने सीआईए के डायरेक्टर जॉन ब्रेनन को हैक करने का मिशन संभाल लिया।. क्रैका ने इंटरनेट पर जॉन के बारे में खोज करना शुरू किया तो उसके सामने एक सार्वजनिक फोन नंबर आया। उसने देखा कि वह नंबर वेरीज़ोन का था जो एक अमेरिकी मोबाइल ऑपरेटर का था। उन्होंने कहा कि इंटरनल टेक टीम को उसी कंपनी का कर्मचारी नियुक्त किया गया है और कहा कि वह एक ग्राहक की समस्या का समाधान करने के लिए उनसे संपर्क कर रहा है क्योंकि उसके सिस्टम में कोई तकनीकी समस्या है। वैरिजॉन की टीम ने अपनी आईडी कन्फर्म करने के लिए पिन कोड मांगा था, जो ऑलरेडी हैक करके पुराना कर चुका था। वेरिफिकेशन के बाद वैरिज़ोन नेजोनबेनेट की पर्सनल डिटेल्स क्रेका से शेयर की गईं।

अब क्रेखा के पास जॉन ब्रेनन का खाता नंबर, मोबाइल नंबर पता और उसके बी कार्ड के अंतिम चार अंक भी मौजूद थे। अब अगला कदम ब्रैनन का ईमेल हैक करना था।. वह अक्सर ब्रैनन याहू या जीमेल के बजाय एओएल नामी कंपनी का ईमेल इस्तेमाल करता है। उन्होंने एक ओयल सपोर्ट टीम को कॉल किया और कहा कि मैं अपना पासवर्ड भूल गया हूं और रीसेट करवाना है। Aol के सपोर्ट में बार-बार कन्फर्म करने के लिए बैंक कार्ड के अंतिम चार अंकों की मांग की गई थी जो क्रेखा के पास पहले से मौजूद थे। इस तरह crecha Nefourren ने उनके ईमेल पते का पता लगा लिया। अब cia के निदेशक का पर्सनल ईमेल एकाउंट क्रेक के पास था। उन्होंने जॉन ब्रेनन का निजी ईमेल खोला जिसमें कई महत्वपूर्ण और शीर्ष गुप्त दस्तावेज़ मौजूद थे। अन्य अधिकारियों का डेटा उनके सामाजिक सुरक्षा नंबर और सरकार से मिलने वाले निर्देश। तब तक का ईमेल अकाउंट हैक हो चुका है इसका पता चल चुका था ओर ऊसने अपना अकाउंट बंद करवा दिया। लेकिन अब काफी देर हो चुकी थी ये अब तक सर डट डाउनलोड किया जा चुका था।

क्रेचा ने एक-एक करके ऑफिशल डाक सार्वजनिक करना शुरू कर दिया जिससे पूरे अमेरिका में एक कोहराम मच गया। पुरी दुनिया में सीआईए की बदनामी हो रही थी। अब उनके लिए हैकर्स को पकड़ना मजबूरी बन चुका था। वो हर हाल में जल्द ही उन कैचिंग को चाहते थे लेकिन वो कोई भी सुराग हासिल नहीं कर पाए।

CIA Hacked कैसे पकड़े गए दोनों Hackers

जॉन ब्रैनन को फोन करने के कुछ दिनों के बाद ग्राका ने न्याय विभाग के नौ हज़ार जबकि एफबीआई के बीस हज़ार एजेंटों की व्यक्तिगत जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की। ये सब कुछ करने के बाद आराम से अपनी जिंदगी गुजर रही थी। वो जानता था कि शायद उसे पकड़ लिया गया है लेकिन दूसरी तरफ डिफ़ॉल्ट जो की us का ही निवासी था वो अब परेशान रहेगा। उसे डर था कि अगर वह पकड़ा गया तो उसकी शामत आने वाली है।

शायद वो कभी पकड़े ना जाए अगर ये गलती ना होती। उसने नशे में अपने दोस्त को बताया कि cia| को हैक करने के पीछे उसी का हाथ है। बस यह गलती डिफॉल्ट और क्रेखा दोनों को ले डूबी । कुछ दिनों के बाद एफ़बीआई ने डिफॉल्ट के कमरे में छापा मारा और उसे घसीटते हुए ले गए। पूछताछ के दौरान दूसरा नाम भी सामने आया जिसे ब्रिटिश पुलिस की मदद से गिरफ्तार कर लिया गया। क्रेचा का वास्तविक नाम can caml है जबकि डिफ़ॉल्ट का नाम जस्टिन ग्रे लिवरमैन है।. कम उम्र होने की वजह से क्रैका को दो साल की सजा सुनाई गई है, जबकि डिफ़ॉल्ट रूप से जो कि डायरेक्टली हैकिंग में शामिल नहीं था, उसे पांच साल की सजा सुनाई गई है। दोनों आज जेल से आजाद हैं और साइबर क्राइम में अपनी देखभाल आगे बढ़ा रहे हैं।

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