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चंद्रबाबू नायडू को ED से 371 करोड़ रुपये घोटाले में क्लीन चिट: क्या यह राजनीतिक चाल है?

चंद्रबाबू नायडू को ईडी से राहत: राजनीति और भ्रष्टाचार के आरोपों पर एक नई दिशा

Tafseel Ahmad
7 Min Read
Highlights
  • चंद्रबाबू नायडू को कौशल विकास घोटाले में ईडी से मिली क्लीन चिट, 371 करोड़ के घोटाले में नहीं मिले ठोस सबूत।
  • 53 दिनों तक जेल में रहे नायडू, सितंबर 2023 में आंध्र प्रदेश पुलिस ने किया था गिरफ्तार।
  • राजनीतिक साजिश के आरोप: विरोधी दलों ने ईडी और सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का लगाया आरोप।
  • भविष्य की संभावनाएं: नायडू के राजनीतिक करियर की नई शुरुआत की अटकलें, एनडीए में वापसी के संकेत।

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को ED (एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट) ने 371 करोड़ रुपये के हुए घोटाले में क्लीन चिट दे दी है। इस समाचार ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है, और विपक्ष ने इसे एक राजनीतिक साजिश के रूप में देखा है। क्योंकि सितंबर 2023 में उन्हें इसी मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। आइए जानते हैं इस मामले की विस्तार से जानकारी।

घोटाले के आरोप और गिरफ्तारी

कौशल विकास योजना, जिसे 2014 में शुरू किया गया था, का उद्देश्य राज्य के युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के काबिल बनाना था। इस योजना के तहत कई जिलों में कौशल विकास केंद्र खोले गए थे। लेकिन, बाद में आरोप लगे कि इस योजना के नाम पर फर्जी बिल बनाकर बड़ी रकम शेल कंपनियों में ट्रांसफर की गई। आरोप था कि 371 करोड़ रुपये की रकम इस घोटाले में घुमाई गई और इसमें नायडू की भूमिका थी।

जगनमोहन रेड्डी सरकार ने इस मामले को उठाया और नायडू को मुख्य आरोपी बताया। सितंबर 2023 में आंध्र प्रदेश पुलिस के सीआईडी ने नायडू को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले को लेकर उन्हें करीब 53 दिनों तक जेल में रहना पड़ा।

ईडी (ED)की जांच और क्लीन चिट

ईडी ने इस घोटाले की जांच शुरू की और आरोप लगाए कि बड़ी मात्रा में धन का गबन किया गया। जांच के बाद, ईडी ने नायडू की संपत्ति जब्त करने के आदेश भी दिए। लेकिन जांच के दौरान, ईडी को ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिला जिससे यह साबित हो सके कि चंद्रबाबू नायडू सीधे तौर पर इस घोटाले में शामिल थे।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में बताया गया कि ईडी ने नायडू को इस मामले में क्लीन चिट दे दी है। यह खबर एक तरह से चौंकाने वाली थी, क्योंकि कई महीनों से नायडू को भ्रष्टाचार के आरोपों में घसीटा जा रहा था। हालांकि, ईडी की इस रिपोर्ट के बाद यह साफ हो गया कि नायडू पर लगे आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं था।

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राजनीतिक साजिश के आरोप

इस मामले में एक बड़ा सवाल यह भी है कि नायडू को जेल में डालने के पीछे क्या राजनीतिक कारण थे? विपक्षी दलों ने यह आरोप लगाया था कि नायडू को साजिशन फंसाया गया ताकि उनके राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचाया जा सके। यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार द्वारा ईडी का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को दबाने के लिए किया जा रहा है।

चंद्रबाबू नायडू का नाम बीजेपी के साथ भी जुड़ा है। वह पहले भी एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के हिस्से रह चुके हैं और बाद में बीजेपी से अलग हो गए थे। अब, इस क्लीन चिट के बाद यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि नायडू फिर से बीजेपी के साथ जुड़ सकते हैं।

विरोधी दलों का क्या कहना?

इस पूरे मामले पर विपक्षी दलों ने कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि जो भी नेता बीजेपी से जुड़े होते हैं, उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों से राहत मिल जाती है। कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी एक ‘वॉशिंग मशीन’ है, जिसमें जो भी नेता शामिल हो जाता है, वह साफ-सुथरा बन जाता है, चाहे उस पर कितने भी गंभीर आरोप क्यों न लगे हों।

सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर काफी प्रतिक्रियाएं आईं। कांग्रेस ने एक मज़ाक वाला पोस्टर जारी किया जिसमें एक वॉशिंग मशीन दिखाई गई, जिसमें चंद्रबाबू नायडू धोकर साफ होते दिखाए गए। इसे लेकर काफी बहस छिड़ी रही कि क्या ईडी और सीबीआई जैसी संस्थाओं का राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है?

भाजपा का पक्ष

वहीं, बीजेपी का कहना है कि नायडू को बरी किया जाना न्याय की जीत है। पार्टी का कहना है कि नायडू के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित थे और अब सच सामने आ चुका है।

चंद्रबाबू नायडू भविष्य की चिंता

चंद्रबाबू नायडू के बरी होने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि वह अपने राजनीतिक भविष्य को कैसे आगे बढ़ाते हैं। क्या वह फिर से एनडीए का हिस्सा बनेंगे, या फिर विपक्ष के साथ मिलकर अपना राजनीतिक सफर जारी रखेंगे?

नायडू की पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी (TDP), आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा नाम है। हालांकि, पिछले कुछ चुनावों में टीडीपी को झटके लगे हैं, लेकिन नायडू की साख अभी भी मजबूत मानी जाती है। अब जब उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों से राहत मिल गई है, तो यह देखना होगा कि वह आने वाले चुनावों में किस तरह से अपनी पार्टी को फिर से खड़ा करते हैं।

चंद्रबाबू नायडू को ईडी द्वारा मिली क्लीन चिट उनके लिए एक बड़ी राहत है, लेकिन इस पूरे मामले ने यह भी दिखाया कि राजनीति और भ्रष्टाचार के आरोपों का गहरा संबंध है। जहां एक तरफ नायडू ने खुद को निर्दोष साबित किया, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी उठे कि क्या सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए हो रहा है?

आने वाले समय में यह देखना होगा कि चंद्रबाबू नायडू इस राहत का किस तरह से फायदा उठाते हैं और उनकी राजनीतिक दिशा क्या होगी। फिलहाल, उनके समर्थकों के लिए यह जश्न का मौका है, क्योंकि उनके नेता पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया गया है।

क्या यह मामला वाकई न्याय की जीत है या फिर राजनीति का एक और खेल? यह तो समय ही बताएगा।

Ravish Kumar Official

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