Bharat Time

AMU अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर ऐतिहासिक फैसला – जानिए

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: AMU का अल्पसंख्यक दर्जा रहेगा बरकरार या नहीं? जानिए कोर्ट ने क्या कहा

Tafseel Ahmad
5 Min Read
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की माइनॉरिटी स्टेटस पर नया निर्णय
Highlights
  • सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने 4:3 के बहुमत से कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर अब नई बेंच निर्णय लेगी।
  • संस्थापकों की भूमिका पर जोर: कोर्ट ने यह देखा कि AMU के संस्थापक मुस्लिम समुदाय से थे और विश्वविद्यालय को उनके हित में स्थापित किया गया था।
  • नए दिशा-निर्देशों के अनुसार निर्णय: नई बेंच AMU के अल्पसंख्यक दर्जे का निर्णय सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए नए दिशा-निर्देशों के आधार पर करेगी।
  • शिक्षण संस्थानों का अल्पसंख्यक दर्जा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान लागू होने से पहले बने संस्थान भी अल्पसंख्यक दर्जे के हकदार हो सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 4:3 के बहुमत से निर्णय दिया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) को माइनॉरिटी संस्थान माना जा सकता है या नहीं, यह अब एक नई बेंच तय करेगी। सुप्रीम कोर्ट की 1967 में हुई पुरानी फैसले को पलटते हुए कहा गया है कि चूंकि AMU एक केंद्रीय कानून के तहत स्थापित हुआ था, इसलिए इसका माइनॉरिटी स्टेटस का मुद्दा अब नए सिरे से जांचा जाएगा।

क्या है AMU का माइनॉरिटी स्टेटस विवाद?

AMU के माइनॉरिटी स्टेटस का मामला 1967 से कोर्ट और सरकारों के बीच उलझा हुआ है। यूनिवर्सिटी के गठन का उद्देश्य यह था कि यह मुस्लिम समुदाय की भलाई के लिए काम करे, जो कि AMU के पक्ष में सबसे बड़ा तर्क रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने यह तय किया है कि तीन जजों की नई बेंच अब इस मुद्दे पर विचार करेगी। इसके साथ ही शुक्रवार के फैसले में यह बात भी स्पष्ट की गई कि माइनॉरिटी स्टेटस के लिए यह देखना जरूरी है कि क्या संस्थान को अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने स्थापित किया और वह उस समुदाय के लाभ के लिए है।

जानकारीबुलंदशहर की बेटी सबा हैदर AMU की पूर्व छात्रा बनीं अमेरिका की सीनेटर

फैसले के स्वागत में AMU समुदाय

AMU से जुड़े लोगों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे उनके इस तर्क को मजबूती मिली है कि यूनिवर्सिटी का माइनॉरिटी स्टेटस इस आधार पर तय किया जाना चाहिए कि इसे किसने और क्यों स्थापित किया। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने इस बहुमत वाले फैसले को लिखा, जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना, जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

वहीं, तीन जजों ने इस फैसले का विरोध करते हुए 1967 के फैसले का समर्थन किया। इनका कहना था कि एक दो जजों की बेंच द्वारा 1981 में 1967 के फैसले को सवाल उठाना और मामले को सात जजों की बेंच को भेजना सही नहीं था।

माइनॉरिटी स्टेटस का मुद्दा: इतिहास और वर्तमान स्थिति

AMU की स्थापना मुस्लिम समुदाय द्वारा 1920 में की गई थी, जब इसे मुहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज से बदलकर एक केंद्रीय यूनिवर्सिटी बना दिया गया था। 1967 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि केंद्रीय कानून के तहत स्थापित होने के कारण यह माइनॉरिटी संस्थान नहीं हो सकता। हालांकि, 1981 में इंदिरा गांधी सरकार ने एक कानून पास कर AMU को माइनॉरिटी संस्थान घोषित कर दिया।

लेकिन 2005 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस कानून को खारिज कर दिया। इसके बाद कांग्रेस सरकार और AMU ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। वर्तमान में, केंद्र सरकार ने AMU के माइनॉरिटी स्टेटस का विरोध किया है, जिसे बीजेपी के नेतृत्व में पेश किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट का मुख्य निर्णय

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि यह तर्क कि एक संस्थान माइनॉरिटी तब ही माना जाएगा जब उसे अल्पसंख्यक समुदाय ने संविधान लागू होने के बाद स्थापित किया हो, गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 30(1) के तहत माइनॉरिटी संस्थानों को मिलने वाली सुरक्षा उन संस्थानों को भी मिलनी चाहिए जो संविधान लागू होने से पहले स्थापित हुए थे।

फैसले के मुख्य बिंदु:

  • 1981 में मामले को सात जजों की बेंच को भेजने का निर्णय वैध था।
  • अल्पसंख्यक समुदाय को यह साबित करना होगा कि उन्होंने इस संस्थान की स्थापना अपने समुदाय के लाभ के लिए की थी।
  • अनुच्छेद 30(1) के तहत माइनॉरिटी संस्थान का अधिकार संविधान लागू होने से पहले स्थापित यूनिवर्सिटी पर भी लागू होता है।

क्यों है माइनॉरिटी स्टेटस महत्वपूर्ण?

यदि AMU को माइनॉरिटी संस्थान का दर्जा मिलता है, तो यह मुस्लिम समुदाय के छात्रों के लिए सीटें आरक्षित कर सकेगा और इसके प्रशासनिक अधिकार भी बढ़ जाएंगे।

जानकारी OTT – The Buckingham Murders करीना कपूर की नई क्राइम थ्रिलर फिल्म पूरी कहानी किस OTT पर हो रही है रिलीज 2024

Follow Us On Twitter For More Instant Latest Update

Share This Article
2 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *