बहराइच में सांप्रदायिक हिंसा के बीच, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अखिलेश का कहना है कि बीजेपी ने आगामी चुनावों के मद्देनज़र जानबूझकर दंगे भड़काए, ताकि लोगों का ध्यान महंगाई, बेरोजगारी, और आरक्षण जैसे अहम मुद्दों से हटाया जा सके।
अखिलेश यादव ने मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने निष्पक्ष रूप से दंगे की सच्चाई को उजागर किया। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि यदि बीजेपी दंगों के खिलाफ थी, तो पर्याप्त पुलिस सुरक्षा क्यों नहीं मुहैया कराई गई?
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दैनिक भास्कर की रिपोर्ट और प्रशासन पर सवाल
दैनिक भास्कर के स्टिंग ऑपरेशन ने इस मामले में और भी विवाद पैदा किया। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि दंगाइयों को केवल दो घंटे का समय दिया गया, अन्यथा पूरे महाराजगंज को जला दिया जाता। अखिलेश यादव ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन ने हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच बातचीत कराने में विफलता दिखाई, जिससे दंगे की स्थिति और बिगड़ गई।
प्रशासन पर राजनीतिक दबाव के आरोप
अखिलेश यादव ने पुलिस और प्रशासन पर बीजेपी के दबाव में काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यूपी पुलिस निष्पक्ष कार्रवाई करने में असमर्थ है। उन्होंने बीजेपी पर यह आरोप भी लगाया कि प्रशासनिक अधिकारियों को उनके जाति के आधार पर हटाया जा रहा है और उन्हें अपने पदों पर बने रहने के लिए बीजेपी के पक्ष में काम करने पर मजबूर किया जा रहा है।
अखिलेश यादव का बीजेपी की नीतियों पर हमला
अखिलेश यादव ने बीजेपी की नीतियों की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने उत्तर प्रदेश में विकास के नाम पर केवल वादे किए, लेकिन जमीन पर कोई ठोस काम नहीं हुआ। उनके अनुसार, बीजेपी सरकार ने प्रदेश को पीछे धकेल दिया है और केवल धर्म और जाति के मुद्दों को हवा देकर चुनाव जीतने की कोशिश करती है।
क्या दंगों का फायदा वाकई बीजेपी को मिलता है?
यादव के इस आरोप के पीछे सवाल उठता है कि क्या दंगे और सांप्रदायिक हिंसा से वाकई बीजेपी को चुनावी फायदा मिलता है? विशेषज्ञों का मानना है कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का असर कई बार चुनावों पर देखा गया है। जब समाज में विभाजन होता है, तो वोट बैंक भी बंट जाते हैं, जिससे एक राजनीतिक दल को फायदा मिल सकता है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि हर बार इस तरह की घटनाओं से किसी विशेष पार्टी को फायदा होता है।
विपक्ष का नजरिया
बीजेपी पर दंगों के आरोप लगाते हुए विपक्षी पार्टियों का मानना है कि बीजेपी हमेशा से सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने वाली राजनीति करती आई है। अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो चुकी है, और सरकार जनता के हितों को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी को सत्ता में बने रहने के लिए दंगों और हिंसा का सहारा लेना पड़ता है।
जनता का नजरिया
अखिलेश यादव के इन आरोपों के बाद जनता के बीच भी चर्चा तेज हो गई है। कुछ लोग इसे राजनीति का हिस्सा मानते हैं, जबकि कुछ का मानना है कि चुनावों से पहले इस तरह के आरोप लगाकर राजनीतिक दल जनता का ध्यान असल मुद्दों से भटकाते हैं। जनता का एक बड़ा तबका चाहता है कि चुनाव मुद्दों पर लड़े जाएं, न कि धर्म और जाति के आधार पर।
सुप्रीम कोर्ट की बुलडोजर कार्रवाई पर चेतावनी
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश दिया है। अदालत ने प्रशासन को आगाह किया है कि वे बिना अनुमति के कोई कार्रवाई न करें।
अखिलेश यादव के आरोपों ने चुनावों के पहले माहौल को गरमा दिया है। उन्होंने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि पार्टी चुनावी लाभ के लिए समाज को बांटने का काम करती है। हालांकि, बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है और इसे विपक्ष की रणनीति बताया है। अब देखना यह होगा कि आने वाले चुनावों में जनता इन आरोपों को किस तरह देखती है और इसका चुनावी नतीजों पर क्या असर पड़ता है।
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