Bharat Time

अगर इज़राइल ने हमला किया, तो दुनिया पर इसका असर क्या होगा?

आइए समझें, इज़राइल के हमले से दुनिया पर पड़ने वाले प्रभावों को।

Tafseel Ahmad
15 Min Read
क्या होगा जब इज़राइल एक और हमला करेगा? जानिए इस स्थिति के संभावित प्रभावों और दुनिया में क्या परिवर्तन आएंगे।
Highlights
  • ईरान द्वारा इज़राइल की ओर 200 मिसाइलें दागे जाने का वीडियो तेज़ी से वायरल
  • क्या ईरान का यह हमला नाकाम हो गया है या क्या यह जानबूझकर ऐसा किया गया ताकि आम नागरिकों को नुकसान न हो
  • गजा में मरने वालों की संख्या 41,500 से अधिक हो गई है
  • नेतनयाहू की निति जंग को बढ़ावा देने के साथ-साथ अमेरिका को भी इसमें खींचने की कोशिश
  • अक्टूबर 2023 से मई 2024 तक, अमेरिका ने इज़राइल को 125 अरब डॉलर से अधिक की मदद दी

हाल ही में सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर ईरान द्वारा इज़राइल की ओर 200 मिसाइलें दागे जाने का वीडियो बहुत ही ज़्यादा वायरल हो गया। इससे लोगों की चिंताएं बढ़ने लगीं है कि शायद दुनिया एक बड़े युद्ध की तरफ बढ़ रही है। इस ताज़ा घटनाक्रम के बाद, हम आज के इस वीडियो में अमेरिका समर्थित देशों, इस्राइल और ईरान के बीच तनाव पर चर्चा करेंगे।

क्या ये वास्तव में उस स्तर की लड़ाई होगी जिसकी आशंका पिछले एक साल से जताई जा रही है? ध्यान रखना चाहिए कि जिस तरह से मिसाइलें और बम धमाके हो रहे हैं, उसके बीच युद्ध की दूसरी विचार बेमानी लगती हैं।

अमेरिका ने ईरान के इज़राइल पर किए हमले की कड़ी निंदा की है, और दुनिया से भी निंदा की अपील की है। जबकि, खुद अमेरिका ने पिछले साल गाजा में इज़राइल बमबारी की निंदा तो की थी, लेकिन इसके साथ ही इस्राइल को अरबों डॉलर की मदद और हथियारों की सप्लाई भी की थी। इस समय दुनिया भर में अमेरिका की इस नीति की आलोचना हो रही है, यहां तक कि अमेरिका के अंदर भी। कई विश्वविद्यालयों में पर्दे के पीछे से युद्ध को बढ़ावा देने की अमेरिकी रणनीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

इज़राइल का कहना है कि उसकी एंटी-मिसाइल सिस्टम ने अधिकतर मिसाइलों को रोक लिया है, हालांकि कुछ मिसाइलें उसकी आयरन डोम सुरक्षा को पार कर गईं। इसके बावजूद, इज़राइल ने दावा किया है कि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री Netanyahu ने कहा है कि ईरान ने बड़ी गलती की है और अब उसे इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी जल्द ही।

अब सवाल यह उठता है कि क्या ईरान का यह हमला नाकाम हो गया है या क्या यह जानबूझकर ऐसा किया गया ताकि आम नागरिकों को नुकसान न हो और युद्ध न भड़के? इस समय, दुनिया के एक्सपर्ट मान रहे हैं कि हम एक बड़ा युद्ध करीब है।

इज़राइल और फिलिस्तीन के संघर्ष में अरब देशों की बहुत कम और व्यापारिक हितों ने फिलिस्तीन समर्थकों को कमजोर कर दिया है। वहीं, इजराइल ईरान को उकसाकर युद्ध में घसीटना चाहता है, जिससे पूरे मध्य पूर्व में तनाव और तबाही का खतरा बढ़ रहा है।

नेतनयाहू का ईरान के खिलाफ बयान

हसन नसरुल्ला की हत्या के तीन दिन बाद, इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतनयाहू ने ईरान की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि ईरान की सरकार ही दोषी है और पूरे मध्य पूर्व को युद्ध में झोंक रही है। उन्होंने ईरान की जनता को तानाशाही से मुक्त करने की बात की, जैसे कि 2003 में अमेरिका के राष्ट्रपति बुश ने इराक की जनता को संबोधित किया था। नेतनयाहू का बयान यह संकेत देता है कि वह ईरान के खिलाफ बड़े युद्ध की तैयारी में हैं।

ईरान और इज़राइल के बीच तनाव

ईरान, जो फिलिस्तीन का प्रमुख समर्थक देश है, अब अकेला रह गया है। अरब देश ईरान को अपने लिए खतरा मानते हैं, और इज़राइल ने ईरान के कई अच्छे वैज्ञानिकों औरअच्छे अधिकारियों की हत्या की है। नेतनयाहू पिछले एक साल से ईरान को युद्ध में खींचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ईरान संयम बरत रहा है। हालांकि, इज़राइल द्वारा 200 मिसाइलें दागे जाने के बाद, ईरान ने जवाबी कार्रवाई की है। ईरान के पास परमाणु हथियार होने की संभावना है, लेकिन वह प्रतिबंधों का सामना भी कर रहा है।

हिज्बुल्लाह और इजराइल के बीच लड़ाई

लेबनान में हिज्बुल्लाह एक मजबूत फिलिस्तीनी समर्थक संगठन था, लेकिन इज़राइल ने उसके कई प्रमुख नेताओं की हत्या कर दी। अब, इज़राइल के खिलाफ सबसे मजबूत आवाज ईरान की है। ईरान ने हाल ही में इजराइल के खिलाफ मिसाइलें दागी हैं और इसे अपनी जनता को दिखाने का प्रयास किया है। हालांकि, व्यापक युद्ध होने की संभावना कम है, लेकिन अगर ऐसा होता है, तो इसका दायरा बड़ा हो सकता है।

इजराइल की थकी हुई सेना और फ्यूचर की संभावनाएं

इज़राइल की सेना एक साल से लगातार युद्ध कर रही है और थक चुकी है। इस बीच, ईरान ने अपने हमले तेज कर दिए हैं, लेकिन वह भी व्यापक युद्ध में फंसने से बचना चाहता है। अगर ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध होता है, तो इसके नतीजे भयावह होंगे। फिलहाल, अगले 48 घंटों में स्थिति साफ होगी कि मध्य पूर्व में युद्ध के हालात कैसे विकसित होते हैं।

इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव: क्या दुनिया एक और युद्ध की कगार पर है?

अमेरिका में चाहे जो भी सरकार हो, इज़राइल का समर्थन एक तरफा नीति है। इसलिए, अक्सर आपको इज़राइल का पक्ष ही मीडिया में प्रमुखता से देखने को मिलेगा। जैसे इस देश ने कुछ किया ही ना हो ! और लेबनान जैसे देश और ईरान जैसे देश, जिन्हें मीडिया में अक्सर दुश्मन के रूप में पेश किया जाता है, मानो उनका अस्तित्व मायने ही नहीं रखता।

हाल ही में इज़राइल ने लेबनान में हिजबुल्ला के सेक्रेटरी जनरल हसन नसरुल्लाह की हत्या कर दी और कई धमाके किए। इसके बाद ईरान के लिए संयम बरतना मुश्किल हो गया। इज़राइल के हवाई हमले लेबनान में जारी हैं, जहां 700 से अधिक लोगों की मौत की खबर है, और जमीनी हमले की भी आशंका है।

ईरान फिलिस्तीन का समर्थन करता है और हिजबुल्ला को खड़ा करने में भी उसकी भूमिका है। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजश किया ने कहा कि उन्हें आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है, जैसा कि इज़राइल ने हमास के हमले के बाद कहा था। इसी आत्मरक्षा के नाम पर इज़राइल ने गजा को लगभग बर्बाद कर दिया। लाखों लोग घायल या बेघर हुए, और कई लोग भूख और प्यास से मर गए। गजा में मरने वालों की संख्या 41,500 से अधिक हो गई है, लेकिन इज़राइल ने इसे आत्मरक्षा का अधिकार बताया।

संयुक्त राष्ट्र में इज़राइल के खिलाफ बहुत बार प्रस्ताव लाए गए, लेकिन इज़राइल पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। इसके बावजूद, इज़राइल लेबनान और अब ईरान के साथ युद्ध की स्थिति में आ गया है। अगर ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध होता है, तो यह यूक्रेन और रूस के बाद दूसरा बड़ा मोर्चा होगा जहां दो देश आमने-सामने होंगे।

अमेरिका ने इज़राइल को अक्टूबर 2023 से मई 2024 तक

अमेरिका के विदेश सचिव Antony Blinken, जिन्हें एक चतुर राजनायक माना जाता है, ने हाल ही में गजा में शांति की आवश्यकता पर एक लेख लिखा। उन्होंने कहा कि गजा में युद्ध का प्रभाव बहुत विनाशकारी है, और हजारों फिलिस्तीनी मारे गए हैं। लेकिन इसी दौरान अमेरिका ने इज़राइल को अरबों डॉलर की सैन्य सहायता भी दी है। अक्टूबर 2023 से मई 2024 तक, अमेरिका ने इज़राइल को 125 अरब डॉलर से अधिक की मदद दी, जो कई देशों की अर्थव्यवस्था के बराबर है।

यह विरोधा भाब साफ दिखता है—एक ओर अमेरिका शांति की बात करता है, तो दूसरी ओर इज़राइल को हथियार और आर्थिक सहायता प्रदान करता है।

सोशल मीडिया पर इज़राइल समर्थक भारत में क्यों कूद रहे हैं: हथियार कंपनियों का मुनाफा और एंटी मुस्लिम भावनाएं

भारत में सोशल मीडिया पर कई लोग बिना किसी ठोस जानकारी या बिना नतीजे के इज़राइल का समर्थन करते दिख रहे हैं। ये वही लोग हैं जिन्हें ना इंसानों के मारे जाने की फिक्र है और ना ही हथियार बनाने वाली कंपनियों के मुनाफे की। उनका मकसद सिर्फ एक—एंटी मुस्लिम नफरत को बढ़ावा देना और फैलाना है। इस तरह के समर्थन के पीछे के अंतर्विरोधों और घटनाओं के बीच अंतर समझना बेहद ज़रूरी है।

अमेरिकी हथियार कंपनियों का मुनाफा इस लड़ाई से हजार गुना तक बढ़ चुका है। इन समर्थकों को इस सच्चाई की जानकारी नहीं है या शायद वे इसे जानना ही नहीं चाहते। इसके बजाय, वे सोशल मीडिया पर सिर्फ एकतरफा समर्थन देते नजर आते हैं, जिससे अमेरिका और इज़राइल के पक्ष में बने नैरेटिव को और मजबूती मिलती है।

मध्य पूर्व की राजनीति और साजिशें बेहद जटिल हैं। ईरान, इज़राइल, लेबनान, सीरिया, यमन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कई अन्य देश इस खेल में शामिल हैं, जिनकी आपसी संधियां, गुप्त समझौते और लालच क्षेत्रीय संघर्ष को और बढ़ावा देते हैं। सऊदी अरब ने हसन नसरुल्लाह की हत्या के बाद एक बयान जारी किया, जिसमें लेबनान की सीमाओं के भीतर रक्षा की बात की गई, लेकिन हिजबुल्लाह के कमांडर हसन नसरुल्लाह का कोई ज़िक्र नहीं किया गया।

अरब लीग ने पहले हिजबुल्लाह को आतंकी संगठन माना था, लेकिन 2023 में इस फैसले को बदल दिया। इस बीच, इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र में घोषणा की कि इज़राइल का प्रभाव पूरे मध्य पूर्व में है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि इज़राइल की ताकत और कूटनीति अब विभिन्न अरब देशों तक पहुंच चुकी है।

इज़राइल ने कई मध्य पूर्व देशों के साथ समझौते किए, उन्हें सुरक्षा और टेक्नोलॉजी का वादा किया, और यहां तक कि कई देशों की सरकारों और सेनाओं में भी अपनी जगह बना ली। यह समझना मुश्किल नहीं है कि जब नेताओं के पास नैतिकता नहीं बचती, तो निंदा केवल एक दिखाऊपन बनकर रह जाती है। दुनिया भर में गजा पर इज़राइल के हमले की निंदा के पीछे भी राजनीति है। निंदा करने वाला एक गुट इज़राइल की मदद में लग जाता है, जबकि दूसरा गुट सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करता है।

ब्रिटेन के सांसद जेरेमी कॉर्बिन का बयान

ब्रिटेन के सांसद और लेबर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष, जेरेमी कॉर्बिन ने जोर देकर कहा कि दुनिया भर में लाखों लोगों ने कई बार प्रदर्शन कर युद्धविराम और नरसंहार को रोकने की मांग की है, लेकिन सरकारों ने उनकी बात नहीं सुनी। उनका आरोप है कि सरकारें इस युद्ध को भड़काने के लिए जिम्मेदार हैं, और उन्हें इंसान की ज़िंदगी की कोई परवाह नहीं है।

भारत का रुख भी देखा गया

भारत में कांग्रेस के नेता, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी लगातार इज़राइल के गजा पर हमले की निंदा करते हुए ट्वीट(X) करते रहे हैं। प्रियंका गांधी ने अमेरिका द्वारा इज़राइल प्रधानमंत्री नेतनयाहू को सम्मानित किए जाने पर आपत्ति जताई गई है और इसे शर्मनाक कहा। उन्होंने कहा कि नेतनयाहू की बर्बरता को पश्चिमी सरकारों द्वारा समर्थन मिल रहा है।

नेतनयाहू और तीसरे विश्‍व युद्ध की आशंका

सितंबर 1945 में दूसरे विश्‍व युद्ध की समाप्ति के बाद से अब तक तीसरे विश्‍व युद्ध की आशंका 3000 से ज्यादा बार जताई जा चुकी है। हाल में, रूस-यूक्रेन युद्ध के समय भी यह चर्चा में आया था, लेकिन यूक्रेन का संघर्ष केवल यूक्रेन तक ही सीमित रहा। नेतनयाहू के इज़राइल के सैन्य और राजनीतिक कदमों पर भी दुनिया भर में तीखी आलोचना हो रही है।

इज़राइल की नीतियां और अरब देशों की भूमिका

इज़राइल की नीतियों का मुख्य लक्ष्य उन सभी देशों और गुटों को कमजोर करना है जो फिलिस्तीन के अधिकारों की वकालत करते थे। 1970 के दशक के अंत में इज़राइल ने मिस्र के साथ समझौता किया, फिर 1994 में जॉर्डन के साथ। अब्राहम समझौते के जरिए 2020 में सऊदी अरब, सूडान, संयुक्त अरब अमीरात और मोरक्को जैसे देशों को अपने पाले में कर लिया। इससे फिलिस्तीन का समर्थन कमजोर होता चला गया और अरब देशों के लिए फिलिस्तीन अब मनीयता नहीं रहा।

इस जानकारी में यह भी बताया गया है कि नेतनयाहू की नीतियां कैसे इस इलाके में जंग को बढ़ावा देने के साथ-साथ अमेरिका को भी इसमें खींचने की कोशिश कर रही हैं। फिलहाल, यह सब संघर्ष और युद्ध की आशंका को बढ़ा रहा है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि यह संघर्ष विश्‍व युद्ध के स्तर तक पहुंचेगा या नहीं।

Ravish Kumar Official

अन्य जानकारी – Breaking – ईरान के हमलों से इसराइल में तबाही इज़राइल डिफ़ेंस सिस्टम हुए फेल – बड़ी अपडेटअन्य जानकारी – Breaking इज़रायल में तेलअवीव के मुसाद दफ़्तर पर लेबनान का बड़ा हमला! इसराइल में मची भगदड़

Follow Us On Twitter For More Instant Latest Update

Share This Article
2 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *