बंटेंगे तो कटेंगे: नफरत और डर की राजनीति का पर्दाफाश
“बटेंगे तो कटेंगे” का नारा मुख्यतः जातियों में बंटे हिंदुओं को डराने के लिए लगाया जा रहा है कि यदि तुम जातियों में बंटकर अपना वोट भाजपा के अतिरिक्त और किसी को दिए तो मुस्लिम तुष्टिकरण वाली सत्ता तुम्हें काट देगी , काट देगी का अर्थ यह है कि कत्ल करके टुकड़े टुकड़े कर देगी।
इसके पहले भी देश के प्रधानमंत्री और प्रदेशों के तमाम मुख्यमंत्री समेत देश के बड़े बड़े नेताओं ने “एक हैं तो सेफ़ हैं”, “लव जिहाद”,”लैंड जिहाद”,”वोट जिहाद”,”बेटी लूट ले जाएंगे”,”रोटी लूट ले जाएंगे”,”घर लूट लेंगे”,”भैंस खोल ले जायेंगे” “मंगलसूत्र छीन लेंगे” जैसे नारों के सहारे देश के हिंदुओं को मुसलमानों से डराते रहे हैं और संदेश दे रहे हैं कि सभी जाति बंधन को तोड़कर मुझे वोट देकर सत्ता दो जिससे मैं मुसलमानों से तुम्हारी रक्षा कर सकूं।
यह उसी क्रम का हिस्सा है जब अपने राज्यों का वर्चस्व बढ़ाने के लिए मुस्लिम बादशाहों के हिंदू राजाओं से युद्ध को धार्मिक आधार पर मुसलमानों का हिंदुओं पर हमला , इस्लाम का सनातन पर हमला बताकर डराया जाता रहा है।
इसके लिए खिलजी से औरंगजेब और काश्मीर में पंडितों पर मुसलमानों के अत्याचार तक की झूठी कहानियां गढ़ कर एक नरेटिव बनाया गया और हिंदुओं को डरा दिया गया कि मुसलमान जहां बहुमत में होंगे या उनकी समर्थक सत्ता होगी वहां मुसलमान हिंदुओं को काटेंगे।
Also Read शिक्षा में क्यों पीछे रह गया भारत?
झूठे इतिहास और गढ़े गए नरेटिव्स के सहारे वोट बैंक की राजनीति
संघ और भाजपा की राजनीति इस देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 1000 साल तक मुसलमानों की हुकूमत रही है और कम से कम 500 साल तक (1316 से 1857 तक) तो पूरे मुल्क पर मुसलमानों की हुकूमत रही।
औरंगजेब का सच:औरंगजेब का सच मंदिरों का निर्माण और गढ़े गए मिथक
औरंगजेब का सच इसी देश में जहां अशोक सम्राट द्वारा 261 ईसा पूर्व में कलिंगा युद्ध में कत्लेआम करके लाखों हिंदुओं को मार डालने का एक एक इतिहास मौजूद हों, इसी देश में 185 ईसा पूर्व ब्राह्मण राजा पुष्यमित्र शुंग का बौद्धों पर किए एक एक ज़ुल्म का ऐतिहासिक प्रमाणों के साथ साक्ष्य मौजूद हों , जिस देश में 3300 से 2500 ईसापूर्व की सिन्धु घाटी सभ्यता , 2600 से 1300 ईसापूर्व तक हड़प्पा सभ्यता के प्रमाण मौजूद हों, इसी देश में जहां ईसापूर्व 10.5 लाख साल पहले जन्म लिए राम और ईसापूर्व 8.64 लाख पहले जन्म लिए कृष्ण के जन्म स्थान का एक एक इंच पता हो , क्या भारत में मुसलमानों ने हिंदुओं का मंगलसूत्र, रोटी और भैंस छीन ली? उसी भारत में मात्र 400 साल पहले मुसलमानों द्वारा उनकी सत्ता होने के बावजूद किसी हिन्दू के मंगलसुत्र, घर , भैंस , बेटी और रोटी छीनने का एक उदाहरण और साक्ष्य मौजूद नहीं हैं।
मुस्लिम शासकों का इतिहास यही नहीं 500 साल की मुस्लिम हुकूमत में कहीं हिंदुओं के खिलाफ “मुरादाबाद ईदगाह” की तर्ज़ पर उनके मंदिरों में लोगों पर गोलीबारी नहीं हुई, 1984 भी नहीं हुआ, हाशिमपुरा नहीं हुआ, मेरठ , मलियाना, मुरादाबाद, मुज़फ्फरनगर , भागलपुर, किशनगंज और गुजरात नहीं हुआ , ना ही मुस्लिम हुकूमत होने के बावजूद मुसलमानों ने 6 दिसंबर किया।
ना इसका कोई प्रमाण है ना साक्ष्य है ना किसी इतिहासकार ने लिखा, यहां तक कि ना पी एन ओक ने ना सावरकर और ना ही गोलवलकर ने।
साक्षरता और जागरूकता की कमी का फायदा उठाती राजनीति
भारत में आज से 100-150 साल पहले की घटनाओं का एक एक प्रमाण मौजूद है , एक एक साक्ष्य मौजूद है , ऐसे ही ब्रिटिश हुकूमत को 150-200 साल पहले भारत में हुई घटनाओं का एक एक साक्ष्य और प्रमाण मिला होगा , मुगलों से युद्ध करने के बावजूद तमाम ब्रिटिश इतिहासकारों ने तब भी कहीं नहीं लिखा कि मुस्लिम हुकूमत में मुसलमानों ने हिंदुओं का मंगलसुत्र, घर , भैंस , बेटी और रोटी छीन लिया।
दरअसल किसी भी वस्तु में आस्था और भगवान मान लेने वाला और उसके डर से उसे पूजने वाला उसके सामने नतमस्तक हो जाने वाला समाज संघ और भाजपा के झूठ को भी सच मान लेता है और डर जाता है, भाजपा और संघ इस देश के हिंदुओं के इसी सहिष्णु स्वभाव का दोहन कर रही है।
दरअसल भारत में साक्षरता का पैमाना बस अपना नाम लिखना भर है इसके बावजूद मात्र 74.04% लोग ही साक्षर हैं और यही कारण है कि संघ और भाजपा मुसलमानों से संबंधित झूठी कहानियां, झूठे इतिहास झूठा डर दिखाकर उनके वोट हासिल करने का खेल खेलती है और जो उनकी पोल खोलता है उसे वह डिलीट बंडल की तरह खरीद लेती है।
और इसके लिए सबसे बड़ा खलनायक बनाया गया “औरंगजेब” को , झूठा नरेटिव गढ़ा गया कि जब तक 1.5 मन अर्थात 60 किलो जनेऊ तौला नहीं जाता तब तक औरंगजेब रात का खाना नहीं खाता था, आप गणना कर लीजिए 60 किलो प्रतिदिन 1800 किलो प्रतिमाह और 21600 किलो प्रतिवर्ष के हिसाब से 52 साल की हुकूमत में 1,123,200 किलो जनेऊ को जितना ब्राह्मणों को मारकर उतारा जाने का दावा किया गया उतनी तो उस समय पूरे देश की जनसंख्या भी नहीं थी।
ऐसे ही हज़ारों मंदिरों को औरंगजेब द्वारा ध्वस्त करने का नरेटिव गढ़ा गया मगर प्रमाण मौजूद हैं केवल 2 के वह भी वहां हुए अपराध के कारण की गई दंडात्मक कार्यवाही थी , वैसी ही कार्यवाही जैसे औरंगजेब द्वारा गोलकुंडा की मस्जिद अपवित्र मानकर गिराई गयी।
औरंगजेब द्वारा देश में लगभग 17 मंदिरों को बनाने का प्रमाण मौजूद हैं , उन्हें तमाम जागीरें देने का प्रमाण मौजूद हैं जिनसे उन मंदिरों का खर्च निकाला जा सके , औरंगजेब के दरबार में लगभग 50% से अधिक महत्वपूर्ण पदों पर हिंदू नियुक्त किए, यहां तक कि औरंगज़ेब की कुछ पत्नियां भी हिन्दू थीं और उनका धर्मांतरण नहीं हुआ,मगर इन सब तथ्यों को छिपाकर दो मंदिरों को उछाला गया।
मात्र नाम लिखकर साक्षर बनी भारत की महान जनता यह समझने को भी तैयार नहीं है कि औरंगज़ेब जो मंदिरों को गिराता था उसने 17 से अधिक महत्वपूर्ण मंदिरों को बनाने के लिए ज़मीन और जागीरें क्यों दीं? उनमें एक मंदिर उज्जैन का महाकल मंदिर भी है , तो चित्रकूट का सबसे महत्वपूर्ण बाला जी मंदिर भी है।
मज़ेदार बात यह है कि औरंगज़ेब द्वारा देश में एक भी मस्जिद बनाने का कोई प्रमाण और इतिहास नहीं सिवाय अपने लालकिले की एक छोटी सी मोती मस्जिद के।
औरंगज़ेब ने तमाम मंदिर में भोग की रस्म के लिए स्थायी रूप से धन मिलने का इंतज़ाम भी किया और मंदिर के रखरखाव के लिए 8 गांवों में 330 बीघा ज़मीन दान की थी मगर किसी मस्जिद को कुछ दिया इसका कोई प्रमाण नहीं है।
दरअसल साक्षर जनता इतिहास नहीं पढ़ती ना सच और तथ्य ढूंढती है, जो झूठा नरेटिव उसके व्हाट्स ऐप पर आया उसे ही सच मान लेती है , इसके पहले संघ अफ़वाहें फैला कर अपने जनाधार का लिटमस टेस्ट करता था , जिसमें गणेश जी को दूध पिलाने से लेकर देश में नमक की किल्लत जैसी घटनाएं दर्ज हैं।
जातियों में बंटा हिंदू समाज हिंदू मुस्लिम राजनीति
जातियों में बंटा हिंदू समाज मगर यह भी सच है कि हिंदू जातियों में बंटा है , और संघ तथा भाजपा को उन्हें एक करने का आधिकार भी है मगर सवाल यह है कि मुसलमानों से डराकर “एक” करने का काम क्यों? हिंदू धर्म के लोगों का जातियों में बटे होने में मुसलमान कहां से आ गया ? वह कारण तो उनमें खुद और उनके धर्म ग्रंथों में ही मौजूद है।
हिंदू मुस्लिम राजनीति क्या मनुस्मृति मुसलमानों ने लिखी? जिसे सावरकर की “हिंदू महासभा” संविधान की जगह लागू करना चाहती थी , और इसके लिए उसने 1950 में संविधान की प्रतियां फाड़ीं और तिरंगे को अशुभ बताकर उसे अपने पैरों से रौंदा था ?
क्या उसी मनुस्मृति में यह मुसलमानों ने लिखा था कि
"पिता ब्राह्मण और माता शूद्र हो तो संतान "निषाद"
पिता शूद्र और माता ब्राम्हण हो तो संतान "चांडाल"
क्या मनुस्मृति में मुसलमानों ने लिखा था कि
“जब ब्राम्हण पुरुष का वीर्य शूद्रा स्त्री के गर्भ में गिरता है, तब वह वीर्य बड़े जोर से विलाप करता हुआ कहता है, ‘ मैं मल-कुंड में गिर गया हूँ; यह मनुष्य पापमय काम से अंधा होकर मुझे नीचे की ओर फेंक रहा है, वह स्वयं शीघ्र ही निम्नतम गति में गिर जाए ;’ – इस प्रकार उस ब्राह्मण पुरुष को शाप देकर वह वीर्य नीचे गिर जाता है।’ संदर्भ:- महाभारत (आश्वमेधिक-पराशरमाधव, पृ. 495)
मैं लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सबकुछ तो नहीं लिखूंगा मगर कुछ संदर्भ दे रहा हूं गुगल पर सर्च करके पढ़ लीजिए कि तमाम धर्मग्रंथ में क्या लिखा है
वशिष्ठ (1.27) , वशिष्ठ (14. 5) , याज्ञवल्क्य (1. 56) , शंख (4.9) , विष्णु (26.26) , विष्णु (26.25),विष्णु (46.7),बौधायन (2.1.41),वृद्ध यम (3.13),यम (वीरमित्रोदय संस्कार, पृ. 750),हारीत (दो.),हारीत (दो., पृ. 751),महाभारत (आश्वमेधिक-पराशरमाधव, पृ. 495),महाभारत (अनुशासन-पराशरमाधव, पृष्ठ 496),स्मृतिन्तर (दो., पृ. 496)..
और हां इसे मुसलमानों ने नहीं लिखा है इसलिए धार्मिक कारणों से जातियों में बंटे अपने हिंदू समाज को एक तो करिए मगर मेहरबानी करके मुसलमानों को इससे दूर रखिए।
उनके पास ऐसा लिखने का ना साहस है ना सामर्थ्य, उनकी खुद की अपनी ही बहुत सी समस्याएं हैं।
Nice Information