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बहराइच दंगे: बीजेपी नेताओं पर FIR, और बुलडोज़र, लेकिन मीडिया क्यों चुप?

बहराइच में दंगे, FIR, और मीडिया की खामोशी – जानिए सच्चाई के पीछे की कहानी।

Tafseel Ahmad
5 Min Read
क्या मीडिया बहराइच दंगों में बीजेपी पर हुई कार्रवाई को नज़रअंदाज़ कर रहा है?
Highlights
  • बहराइच दंगों में बीजेपी नेताओं पर FIR: बहराइच दंगों में बीजेपी नेताओं पर दर्ज हुई FIR की पूरी जानकारी और आरोपों का विश्लेषण।
  • मीडिया की चुप्पी का कारण क्या? बहराइच की घटना पर मीडिया के बड़े हिस्से ने चुप्पी क्यों साधी हुई है, इसके पीछे के संभावित कारण।
  • बुलडोज़र राजनीति और बीजेपी: बीजेपी और बुलडोज़र राजनीति का संबंध, और बहराइच में इसका क्या असर देखने को मिला?
  • प्रशासनिक कार्रवाई और राजनीतिक दबाव: प्रशासन ने कैसे जवाब दिया, और क्या इस पर कोई राजनीतिक दबाव काम कर रहा है?

बहराइच दंगे: में हुए सांप्रदायिक दंगों के पांच दिन बाद बीजेपी विधायक सुरेश्वर सिंह ने अपनी ही पार्टी के सात नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। इस घटना के बाद भी इन नेताओं की गिरफ्तारी या उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सवाल यह उठता है कि क्या मीडिया इस पर ध्यान क्यों नहीं दे रहा?

दंगा, बुलडोजर, और सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी

बहराइच दंगों में बुलडोजर चलाने की खबर को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई का सामना करना पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने यूपी सरकार को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने आदेश का उल्लंघन किया, तो इसका परिणाम उन्हें भुगतना होगा।

उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि कल की सुनवाई से पहले कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी।

दंगों में कौन-कौन से बीजेपी नेता शामिल?

13 अक्टूबर को बहराइच मेडिकल कॉलेज के गेट पर मृतक रामगोपाल मिश्रा का शव रखकर भीड़ प्रदर्शन कर रही थी। बीजेपी विधायक सुरेश्वर सिंह अपने अंगरक्षकों और सहयोगियों के साथ वहां पहुंचे। उनके अनुसार, उसी समय भाजपा युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष अर्पित श्रीवास्तव और अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं ने उपद्रव मचाया। एफआईआर में अर्पित श्रीवास्तव, अनुज सिंह, शुभम मिश्रा, मनीष चंद्र शुक्ल, कुश मेंद्र चौधरी, और पुंडर पांडे के नाम दर्ज हैं।

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विधायक ने इन पर आरोप लगाया कि इन नेताओं ने पथराव किया और उनकी गाड़ी पर हमला किया। हालांकि, सुरेश्वर सिंह ने एफआईआर में दंगा शब्द का प्रयोग नहीं किया, लेकिन उन्होंने हिंसा और जानलेवा हमले के आरोप लगाए। सवाल यह उठता है कि क्या मीडिया ने इन आरोपों की जांच की?

मीडिया की खामोशी पर सवाल

एफआईआर में जिन भाजपा नेताओं के नाम हैं, उनकी पहचान या जांच मीडिया ने क्यों नहीं की? बीजेपी विधायक के बेटे पर गोली चलाने का आरोप है, फिर भी इस पर कोई विस्तृत रिपोर्टिंग नहीं की गई।

यह देखा गया है कि कई मीडिया चैनलों ने इस दंगे से संबंधित झूठी खबरें फैलाई थीं, जिनका बाद में बहराइच पुलिस ने खंडन किया। पुलिस ने कहा कि सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली बातें फैलाई गईं, जैसे कि मृतक को करंट लगाया गया या तलवार से मारा गया। लेकिन जब बीजेपी विधायक ने अपनी पार्टी के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए, तो मीडिया की ओर से कोई तहकीकात नहीं हुई।

क्या भाजपा में अंदरूनी राजनीति चल रही है?

इस पूरी घटना में एक और महत्वपूर्ण पहलू सामने आता है – भाजपा के अंदर चल रही राजनीति। विधायक सुरेश्वर सिंह ने सात भाजपा नेताओं के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई, और यह सवाल उठता है कि क्या ये आरोप आपसी राजनीति का परिणाम हैं?

सुरेश्वर सिंह ने यह भी कहा कि यदि उनके बेटे की जान चली जाती तो यह एक बड़ा मुद्दा बन जाता। इस मामले में शामिल नामित नेताओं के खिलाफ अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

बुलडोजर की कार्रवाई और सुप्रीम कोर्ट का आदेश

23 घरों और दुकानों पर लोक निर्माण विभाग ने अतिक्रमण के नाम पर नोटिस चिपका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश दिया है, लेकिन इसके बावजूद पीडब्ल्यूडी ने 23 लोगों के घरों पर नोटिस जारी किए हैं।

बहराइच के 23 लोगों में से 20 मुसलमान हैं और तीन हिंदू, जिनके घरों को अवैध अतिक्रमण बताया गया है। इस मामले में भी मीडिया की भूमिका पर सवाल उठता है।

नतीजा क्या होगा?

इस पूरी घटना में अब सवाल यह उठता है कि क्या मीडिया सिर्फ एक पक्ष दिखा रही है? बीजेपी विधायक के आरोपों पर मीडिया की चुप्पी को कैसे समझा जाए? क्या भाजपा अपने ही नेताओं के खिलाफ साजिश रच रही है, जैसा कि विपक्षी नेता अखिलेश यादव का दावा है?

इस घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं, जिनका जवाब अभी तक मीडिया या प्रशासन से नहीं मिला है।

Ravish Kumar Official

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