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Voyager Mission: NASA का 45 साल पुराना ऐतिहासिक प्रयास एलियंस से संपर्क की ओर

Voyager Mission: इंसानियत का सबसे बड़ा प्रयास एलियंस से संपर्क करने और अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने का!

Tafseel Ahmad
7 Min Read
Voyager Mission: NASA का ऐतिहासिक मिशन जो हमें अंतरिक्ष की गहराइयों में ले गया और एलियंस से संपर्क की संभावनाओं को जगाया।
Highlights
  • Voyager का मिशन: NASA का Voyager Mission 1977 में लॉन्च हुआ और अब तक का सबसे दूरगामी अंतरिक्ष मिशन है।
  • एलियंस के लिए संदेश: Voyager स्पेसक्राफ्ट एलियंस के लिए गोल्डन रिकॉर्ड्स के जरिए पृथ्वी का संदेश ले जा रहे हैं।
  • इंटरस्टेलर स्पेस में प्रवेश: Voyager 1 ने 2012 में और Voyager 2 ने 2018 में इंटरस्टेलर स्पेस में कदम रखा।
  • महत्वपूर्ण खोजें: Voyager Mission ने जुपिटर और सैटर्न जैसे ग्रहों की पहली स्पष्ट तस्वीरें भेजीं और कई वैज्ञानिक रहस्यों को उजागर किया।

Voyager Mission: ब्रह्मांड में हमारी जगह और दूसरे ग्रहों पर जीवन के सवाल हमेशा से इंसानियत की जिज्ञासा का केंद्र रहे हैं। क्या इस ब्रह्मांड में हम अकेले हैं? यह सवाल न सिर्फ हमारे वैज्ञानिकों के दिमाग में बल्कि आम लोगों के मन में भी गहराई से बसा हुआ है। यही जिज्ञासा NASA के Voyager Mission का मूल कारण बनी, जो इंसानों द्वारा अब तक की गई सबसे साहसिक और दूरगामी अंतरिक्ष यात्राओं में से एक है। इस मिशन ने न केवल सौर मंडल के ग्रहों की खोज की बल्कि एलियंस के साथ संभावित संपर्क की दिशा में पहला ठोस प्रयास भी किया।

Voyager Mission: उद्देश्य और शुरुआत

NASA ने 1977 में दो स्पेसक्राफ्ट, Voyager 1 और Voyager 2, को अंतरिक्ष में लॉन्च किया। इनका मुख्य उद्देश्य हमारे सौर मंडल के ग्रहों की विस्तृत जानकारी जुटाना था, लेकिन साथ ही इन मिशनों के जरिए इंसानों ने पहली बार ब्रह्मांड के किसी और कोने में मौजूद इंटेलिजेंट लाइफ (एलियंस) से संपर्क की उम्मीद भी बांधी। ये दोनों स्पेसक्राफ्ट आज भी यात्रा कर रहे हैं और Voyager 1 तो धरती से 24.7 बिलियन किलोमीटर दूर, इंसानों द्वारा बनाए गए सबसे दूरस्थ ऑब्जेक्ट के रूप में जाना जाता है।

Voyager मिशन का अनोखा पहलू यह है कि ये स्पेसक्राफ्ट्स अपने साथ गोल्डन रिकॉर्ड्स लेकर गए हैं—संदेश, तस्वीरें, और ध्वनियां, जो एलियंस को इंसानियत और धरती के बारे में बताने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। यह उम्मीद की जाती है कि अगर कभी ये स्पेसक्राफ्ट किसी इंटेलिजेंट स्पीशीज तक पहुंचते हैं, तो वे हमारी तरफ से भेजे गए इन संदेशों को पढ़ और समझ पाएंगे।

एलियंस के लिए संदेश: गोल्डन रिकॉर्ड्स

Voyager 1 और 2 के साथ गोल्ड प्लेटेड कॉपर डिस्क्स, जिन्हें गोल्डन रिकॉर्ड्स कहा जाता है, भेजे गए हैं। इन रिकॉर्ड्स में इंसानों द्वारा बोले गए संदेश, पृथ्वी के प्राकृतिक ध्वनियों की रिकॉर्डिंग, और 55 भाषाओं में ग्रीटिंग्स शामिल हैं। इसके अलावा, पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों की 115 तस्वीरें भी इन रिकॉर्ड्स में मौजूद हैं, जिनमें इंसानों की रोजमर्रा की जिंदगी, विज्ञान और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाया गया है। इनमें एक महत्वपूर्ण हिस्सा है “साउंड्स ऑफ अर्थ” जिसमें समुद्र की लहरें, पक्षियों की आवाज़ें, और बिजली की गरज जैसी ध्वनियां रिकॉर्ड की गई हैं, जो पृथ्वी के प्राकृतिक वातावरण को दर्शाती हैं।

इन संदेशों में न सिर्फ इंसानों के बारे में जानकारी है, बल्कि इनका उद्देश्य एलियंस को यह बताना है कि इंसान एक शांति और सहयोग में विश्वास करने वाली प्रजाति है। यहाँ तक कि अमेरिकन प्रेसिडेंट जिम्मी कार्टर और उस वक्त के संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल ने भी इन रिकॉर्ड्स में अपने संदेश भेजे थे। यह एक संदेश था कि हम, इंसान, ब्रह्मांड में अपने अस्तित्व को समझने और उससे जुड़ने के लिए प्रयासरत हैं।

Voyager की वैज्ञानिक उपलब्धियां

Voyager Mission ने विज्ञान को कई अद्भुत खोजें दी हैं। यह स्पेसक्राफ्ट्स जुपिटर, सैटर्न, यूरेनस, और नेप्ट्यून के पास से गुजरे और इन ग्रहों की पहली स्पष्ट तस्वीरें धरती पर भेजीं। ये तस्वीरें वैज्ञानिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुईं, क्योंकि इससे हमें इन ग्रहों और उनके चंद्रमाओं के बारे में बहुत कुछ जानने का मौका मिला। खासकर, जुपिटर के चांद Io पर चल रही ज्वालामुखी सक्रियता को Voyager ने पहली बार देखा और यह एक बड़ी खोज साबित हुई। इससे पहले, इंसानों ने कभी सोचा भी नहीं था कि हमारे सौर मंडल के किसी और चांद पर ज्वालामुखी हो सकते हैं।

Voyager 1 ने जुपिटर के रिंग्स और मून्स की भी तस्वीरें लीं, और यह पहली बार था जब जुपिटर के बारे में इतनी विस्तृत जानकारी मिली। Voyager 2 ने यूरेनस और नेप्ट्यून के पास जाकर इन ग्रहों की तस्वीरें खींची, जो आज भी हमारे पास मौजूद हैं। ये दोनों स्पेसक्राफ्ट्स न केवल ग्रहों के बारे में जानकारियां लेकर आए बल्कि उन्होंने हमारे सौर मंडल के बारे में हमारी समझ को भी नया रूप दिया।

इंटरस्टेलर स्पेस की ओर कदम

Voyager 1 ने 25 अगस्त 2012 को इंटरस्टेलर स्पेस में प्रवेश किया, यानी वह सौर मंडल से बाहर निकल कर ब्रह्मांड के अज्ञात हिस्से में चला गया। यह मानव इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण था क्योंकि इससे पहले किसी भी मानव निर्मित ऑब्जेक्ट ने सौर मंडल की सीमाओं को पार नहीं किया था। Voyager 2 ने भी 2018 में इंटरस्टेलर स्पेस में प्रवेश किया। यह यात्रा करीब 35 सालों तक चली और यह आज भी जारी है।

Voyager के इंटरस्टेलर स्पेस में प्रवेश करने से हमें यह जानने का मौका मिला कि सौर मंडल के बाहर का वातावरण कैसा होता है। यह एक महत्वपूर्ण कदम था क्योंकि यह हमें अंतरिक्ष की गहराइयों को समझने का मौका देता है। हालांकि Voyager 1 और 2 की पावर धीरे-धीरे खत्म हो रही है, लेकिन इनका सफर आज भी जारी है। यह स्पेसक्राफ्ट्स अभी भी हमारी उम्मीदों को जीवित रखे हुए हैं कि एक दिन शायद यह किसी अन्य इंटेलिजेंट लाइफ फॉर्म तक पहुंचेंगे।

भविष्य की उम्मीदें

Voyager मिशन आज भी हमारी मदद कर रहा है यह समझने में कि इंटरस्टेलर स्पेस कैसा होता है और वहाँ का वातावरण कैसा है। हालांकि, इसकी पावर सप्लाई धीरे-धीरे खत्म हो रही है, लेकिन इसमें रखे गए गोल्डन रिकॉर्ड्स हमेशा के लिए प्रिजर्व्ड रहेंगे। अगर कभी यह किसी एलियन स्पीशीज तक पहुंचा, तो शायद वे हमारे द्वारा भेजे गए संदेशों को समझ पाएंगे।

NASA का Voyager Mission इंसानियत की विज्ञान के प्रति जिज्ञासा और एलियंस के साथ संपर्क करने की इच्छा को दर्शाता है। यह मिशन यह सवाल छोड़ता है कि क्या हमारे द्वारा भेजे गए संदेश कभी किसी इंटेलिजेंट लाइफ तक पहुंचेंगे? अगर हाँ, तो शायद वो हमसे वही सवाल पूछ रहे होंगे जो हमने खुद से पूछे हैं: क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं?

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